पानी का संग्रह जरूरी

कांतिलाल मांडोत, सूरत

जल ही जीवन है। यह हम अकसर सुनते ही रहते हैं। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भोजन के बिना व्यक्ति कई दिनों तक रह सकता है, लेकिन पानी के बिना नहीं रह सकता है। हमारी जैन फिलासफी में उपवास का बहुत महत्त्व है। पानी के बिना उपवास भी संभव नहीं है। परंतु अब भारत में ऐसा समय आ गया है कि हर साल गर्मियों में सिर्फ लोगों को ही नहीं जानवरों, पशु-पक्षियों को भी पानी के लिए तड़प कर मरते देखा जा सकता है। देश में गर्मी का पारा चालीस के ऊपर चढ़ गया है। गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही जलाशय, कुएं और बावडि़यां सूखने लग जाते हैं। पानी की बर्बादी रोकने के लिए एक दूसरे का मददगार बनने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। दिन चढ़ने के साथ ही तेज धूप से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। गर्मी में लू के थपेड़े भी अब कहीं-कहीं आरंभ हो गए हैं। आगामी दिनों में गर्मी का असर पूरे देश में बढ़ेगा और साथ ही पानी की कमी भी हर जगह महसूस की जाएगी। गर्मियों के शुरू होते ही हर क्षेत्र में पानी की कमी सताने लगती है। पानी की दिक्कत के लिए सिर्फ गर्मियों में ही क्यों सोचा जाता है? बेहतर होता अगर बरसात से ही इसे गंभीरता से  लिया गया होता। बरसात और सर्दियों के दिनों में बेतहाशा पानी होता है और उसे बर्बाद भी किया जाता है। अगर उस पानी को इकट्ठा करके रखने का कोई प्रबंध किया जाए, ताकि गर्मियों में उसे प्रयोग किया जा सके, तो गर्मियों में पानी के लिए लोगों को यूं तरसना न पड़े। अभी गर्मी में देहात में दो-दो कि.मी. से पानी खींच कर लाया जाता है। देश में अनेक जगह लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। पानी की बर्बादी रोकें, यह हमारा जीवन है। राज्यों में हैंडपंप खराब हैं और पानी की समस्या है। कहीं-कहीं तो लोगों को 3 दिन के लिए सिर्फ एक लीटर पानी उपलब्ध हो रहा है। ऐसे में वहां लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गर्मी के चार महीने गुजारना लोगों के लिए बहुत मुश्किल भरा कार्य है। देश में पानी की कमी नहीं है, लेकिन अधिकतर पानी खारा है। ऐसा पानी पीने लायक नहीं है। इसलिए सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले, ताकि आगे गर्मियों में पानी की ये दिक्कतें न झेलनी पड़े।

अपने सपनों के जीवनसंगी को ढूँढिये भारत  मैट्रिमोनी पर – निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!