पौंग किनारे गो सेंक्चुरी की उम्मीद

सरकार के कदम से आस, 50 हजार गोवंश को मिलेगा संरक्षण

धर्मशाला— पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बिकराल होती जा रही बेसहारा पुशओं की समस्या से निपटने के लिए जिला कांगड़ा के पौंग बांध पर प्रस्तावित गो सेंक्चुरी के बनने की उम्मीद एक बार फिर जगने लगी है। पूर्व में वीरभद्र सिंह की सरकार में जिला कांगड़ा प्रशासन व भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड ने संयुक्त रूप से प्रोपोजल रखा था। इस मसले पर प्रदेश सरकार की कई  अहम बैठकों पर चर्चा की गई, लेकिन सरकार इस पर कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकी। प्रदेश में नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहली बैठक में ही गोवंश संरक्षण कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में प्रदेश सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नई सरकार से अब प्रदेश की जनता को एक बार फिर उम्मीद जगने लगी हैं कि प्रदेश भर के जानवर एक जगह इकट्ठे कर उनकी देखभाल की जाएगी। पौंग बांध के साथ लगती बीबीएमबी की करीब 50 हजार कनाल भूमि पर प्रदेश के गो सड़कों पर हादसों व किसानों को खेती से दूर करने वाले बेसहारा जानवरों की समस्या पर प्रदेश सरकार भी गंभीर है। प्रशासन के नए प्लान से प्रदेश भर में बेसहारा पशुओं की समस्या से राहत मिल सकेगी। प्रदेश के 12 जिलों में लगभग 40 हजार से अधिक बेसहारा पशुओं से रोजाना लाखों रुपए की फसलों को नुकसान और सड़क हादसे हो रहे हैं। गौसरंक्षण समिति अध्यक्ष व ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार गोवंश पर गंभीर है। अगले कुछ दिनों में गो संरक्षण समिति जिला कांगड़ा के पौंग बांध एरिया का निरीक्षण कर बेहतर संभावनाओं की जांच करेगी। इस पर आम लोगों से भी राय ली जाएगी।

भू-माफिया से मिलेगी राहत

पौंग बांध के साथ लगती खाली भूमि पर पिछले कई सालों से लगातार भू माफिया के कब्जे में है। भू-माफिया लोग इस जमीन पर सीजन के हिसाब से खेती करते हैं और अपनी फसलों को तैयार कर मुनाफा भी कमाते हैं। प्रशासन के प्रोपोजल के अंतर्गत इस जमीन पर बेसहारा पशुओं के लिए भाड़ा उगाया जाएगा।

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