फर्जी मुठभेड़ में मारा गया तुलसीराम प्रजापति

 मुंबई— सोहराबुद्दीन शेख के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को गुजरात और राजस्थान की पुलिस ने न्यायिक हिरासत के दौरान फर्जी मुठभेड़ में मारा था। विशेष ट्रायल कोर्ट में मामले के एक मुख्य गवाह ने यह बात कही है। 2004 में गैंगस्टर हामिद लाला मर्डर केस में तुलसीराम प्रजापति के वकील रह चुके गवाह ने अदालत को बताया कि यह बात सही है कि प्रजापति ने उदयपुर के मजिस्ट्रेट के समक्ष दो फरवरी, 2006 को ऐप्लिकेशन दायर कर खुद के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जताई थी। यह सीबीआई का मामला था, इसके बाद गैंगस्टर सोहराबुद्दीन को कथिततौर पर एक फर्जी मुठभेड़ में नवंबर, 2005 में मारा गया था। इसी तरह 26 दिसंबर, 2006 को इस मामले के मुख्य गवाह रहे तुलसीराम प्रजापति को पुलिस ने कथिततौर पर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया। तुलसीराम प्रजापति मामले में अब तक 73 लोग गवाही दे चुके हैं। यही नहीं गवाह ने यही बयान सीबीआई के समक्ष भी दोहराया है। इस मामले में 50 गवाहों के बयान उलट आने को लेकर बचाव पक्ष का अभियोजन पक्ष पर आरोप है कि वह उन्हें धमका रहा है। कोर्ट ने गवाह की ओर से जान का खतरा बताए जाने पर उसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराए जाने का आदेश दिया है। अदालत को दिए बयान में गवाह ने कहा कि प्रजापति ने उन्हें बताया था कि उदयपुर पुलिस की टीम ने उसे हामिद लाला मर्डर केस में 26 नवंबर, 2005 को अरेस्ट किया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी तीन दिन बाद की दिखाई गई। गवाह ने कहा कि सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर के बाद प्रजापति ने खुद की जान पर भी संकट की आशंका जताई थी।

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