फूड प्रोसेसिंग

खाद्य प्रसंस्करण घर या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में मानव या पशुओं के उपभोग के लिए कच्चे संघटकों को खाद्य पदार्थ में बदलने या खाद्य पदार्थों को अन्य रूपों में बदलने के लिए प्रयुक्त विधियों और तकनीकों का सेट है। आम तौर पर खाद्य प्रसंस्करण में साफ  फसल या कसाई द्वारा काटे गए पशु उत्पादों को लिया जाता है और इनका उपयोग आकर्षक, विपणन योग्य और अकसर दीर्घ शेल्फ. जीवन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। पशु चारे के उत्पादन के लिए भी इसी तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण के चरम उदाहरणों में शामिल हैं शून्य गुरुत्वाकर्षण के तहत खपत के लिए घातक फुगु मछली का बढि़या व्यंजन या आकाशीय आहार तैयार करना। भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र उत्पादन, वृद्धि, खपत और निर्यात की दृष्टि से सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में फल और सब्जियां, मसाले, मांस और पोल्ट्री, दूध और दूध उत्पाद, मदिरा, मत्स्य उद्योग, पौधारोपण अनाज प्रसंस्करण और उपभोक्ता उत्पाद समूह जैसे मिष्ठान्न,चॉकलेट और कोको उत्पाद, सोया आधारित उत्पाद, मिनरल जल,उच्च प्रोटीन खाद्य आदि शामिल हैं। अगस्त 1991 में उदारीकरण से लेकर खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्र के संबंध में परियोजना लगाने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुए हं। इसके अलावा सरकार ने निवेश को ध्यान में रखते हुए संयुक्त उपक्रम, विदेशी सहयोग, औद्योगिक लाइसेंस और 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाइयों के प्रस्ताव स्वीकृत किए हैं। इसमें 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी निवेश शामिल है। भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मुख्यतः निर्यात उन्मुख है। भारत की भौगोलिक स्थिति इसे यूरोप, मध्य एशिया, जापान, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया और कोरिया से संपर्क की अद्वितीय सुविधा प्रदान करती है। इसका एक उदाहरण भारत की स्थिति की वजह से भारत और खाड़ी क्षेत्र के मध्य कृषि प्रसंस्कृत खाद्य के व्यापार की मात्रा है। विश्व अर्थव्यवस्था (7 ट्रिलियन यूएसडी) में खुदरा व्यापार एक सबसे बड़ा क्षेत्र है जो कि भारत में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की गैर प्रतिस्पर्धात्मकता की एक मुख्य वजह विपणन प्रणाली की लागत और गुणवत्ता है। विश्व में 72 प्रतिशत से अधिक खाद्य की बिक्री सुपर स्टोर्स के माध्यम से होती है। भारत में काफी संभावनाएं हैं और एक बड़े खुदरा व्यापार परिवर्तन के लिए अनुकूल स्थिति है। भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र छोटा होने के साथ सभी विश्व बाजारों में भारत काफी संभावना से भरा है और सभी विश्व बाजारों से कम प्रतिस्पर्धी भी है।