फेसबुक अब बन चुकी है फेकबुक

डाटा लीक प्रकरण के बाद सोशल मीडिया की साख गिरी है। फेसबुक को तो फेक बुक कहना सही रहेगा। खैर देखते सब कुछ हैं, लेकिन विश्वास नहीं करते। ये शब्द थे बिलासपुर के युवाओं के। हालिया घटनाओं के बाद ‘दिव्य हिमाचल’ ने नौजवानों से किए सवाल। कई युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का अच्छा साधन है। लेकिन कुछ शरारतीतत्त्व इसका गलत इस्तेमाल करके लोगों को गुमराह करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। डाटालीक होने की सूचना से थोड़ा डर तो लगा लेकिन फेसबुक अब एक आदत सी बन गई है

एक आदत बन गई फेसबुक

सोशल मीडिया अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का अच्छा साधन है, लेकिन कुछ शरारती तत्त्व इसका गलत इस्तेमाल करके लोगों को गुमराह करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। डाटालीक होने की सूचना से थोड़ा डर तो लगा, लेकिन फेसबुक अब एक आदत सी बन गई है।

समाजसेवा का बेहतर विकल्प

अच्छे व समाजसेवा के कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया बेहतरीन विकल्प है, लेकिन अब इसका दुरुपयोग भी होने लगा है। ऐसे में हमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय बड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। अपने बारे में कोई भी ज्यादा इंर्फाेमेशन इस पर शेयर न करें।

फेसबुक पर विश्वास नहीं

लोग फेसबुक यूज तो करते हैं, लेकिन इस पर ज्यादा विश्वास नहीं है। बहुत से लोग बेमतलब की पोस्टें डालते हैं, जिनका कोई मतलब ही नहीं होता है। मैं केवल टाइमपास के लिए ही फेसबुक चलाता हूं, इसके अलावा कुछ नहीं। इसलिए इसका जीवन पर कोई ज्यादा प्रभाव नही पड़ता।

फेक आईडी से बनाते हैं मूर्ख

फेसबुक पर ज्यादा विश्वास नहीं है। अब तो लोग इसे फेकबुक भी बोल रहे हैं। लोग इसके माध्यम से फेक आईडी बनाकर दूसरों को मूर्ख बनाते हैं। कभी-कभी तो ठगी जैसी घटनाएं होने की खबरें भी सुनने को मिलती हैं। इसलिए हमें इस बारे में अलर्ट रहना चाहिए। इसका हमारे जीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता।

 एक मनोरंजन का साधन

आपस में जुड़ने और अपनी बात रखने का बेहतरीन मंच है, लेकिन कुछ शरारती तत्त्व इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इसका जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता है। यह केवल एक मनोरंजन का साधन है।