बच्चों से रेप पर फांसी

केंद्रीय मंत्रिमंडल का फैसला, 12 साल तक उम्र होने पर मिलेगी मौत

नई दिल्ली— केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 साल से कम उम्र की बच्चे से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने संबंधी एक अध्यादेश को शनिवार को मंजूरी दे दी। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब मासूम बच्चों के साथ दरिंदगी की बढ़ती घटनाओं से देशभर में गुस्सा है। इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट ने रेप के मामलों में तेज जांच और सुनवाई की समयसीमा भी तय कर दी है। प्रधानमंत्री आवास पर करीब अढ़ाई घंटे तक चली बैठक में पॉक्सो एक्ट में संशोधन पर सहमति बनी। अभी पॉक्सो के तहत कम से कम सात साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इस नए अध्यादेश के जरिए 2012 में बने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) और साक्ष्य कानून में संशोधन किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) में भी बदलाव किए जाएंगे। केंद्र सरकार इस नए अध्यादेश को लाने के साथ ही ऐसे कदम भी उठाएगी, जिससे दुष्कर्म के मामलों की जांच तेजी से हो और पीडि़त को जल्द से जल्द इनसाफ मिल सके। अभी चार राज्यों मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में 12 साल तक की बच्चों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने का कानून है। मध्यप्रदेश ऐसा कानून बनाने वाला पहला राज्य था। केंद्र सरकार ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि 12 वर्ष या इससे कम आयु के बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान करने के लिए कानून मंत्रालय कानून में संशोधन पर विचार कर रहा है। मंत्रिमंडल की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो देशों के दौरे से लौटने के तत्काल बाद आयोजित की गई। प्रधानमंत्री शनिवार सुबह ही वापस लौटे जहां एयरपोर्ट पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनका स्वागत किया।

दो महीने में जांच-सुनवाई

रेप के सभी मामलों में जांच और सुनवाई की समयसीमा तय कर दी गई है, जिसे अनिवार्य रूप से दो महीने के भीतर पूरी करनी होगी।

नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत

16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप या गैंगरेप के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा।