बिग बाजार की लूट

अनुज आचार्य, बैजनाथ

किसी भी बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान अथवा मॉल में एक छत के नीचे सामान को देखना, परखना और खरीदना आम बात है। लेकिन जब ग्राहक की शराफत का नाजायज फायदा उठा कर वही संस्थान लूटपाट पर ही उतर आए तो दूसरों को सचेत करना भी उस ग्राहक का फर्ज बनता है। 30 मार्च को बिग बाजार कांगड़ा से मैंने कुछ खाद्य सामग्री खरीदी, तो कैश काउंटर पर लड़की ने सामान का बिल 1490 रुपए मुझे थमा दिया और मैंने भी तत्क्षण 500 के तीन नोट देकर भुगतान प्रक्रिया पूरी की। उसने भी फटाफट सामान, बैग की कीमत सहित भरा और मुझे बैग पकड़ा दिया, लेकिन इसी बीच जब मैंने बिल पर सरसरी नजर दौड़ाई तो पाया कि बिल में ऊपर वाली 2 वस्तुएं तो मैंने टोकरी में भी नहीं डाली थीं और न ही उनका मूल्य मेरे द्वारा खरीदे किसी सामान से मेल खाता नजर आ रहा था। ऊपर से मोहतरमा ने तार बांध कर बैग को ऐसा सिल दिया था कि मजाल जो उसे खोलकर वस्तुओं को जांच भी लें। मेरे द्वारा एतराज जताने के बाद काफी टालमटोल के बाद वह बैग लेकर नीचे काउंटर पर गई। स्टाफ के दो लोगों से बात की, फिर जाकर मुझ से वसूले गए अतिरिक्त 647 रुपए मुझे वापस किए गए। उसी समय वहां एक सेवानिवृत्त सज्जन एनएस राणा भी बिग बाजार की कार्य प्रणाली को लेकर बुरी तरह से उनकी खिंचाई कर रहे थे। इतना ही नहीं, मैंने जो आधा किलो का काबुली चना का पैकेट लिया था, उसकी कीमत 140 रुपए मुझे अत्यधिक लगी। शाम को घर आकर जब जागो ग्राहक, जागो अभियान के तहत व्ह्टसऐप पर अपनी व्यथा दर्ज की तो अनेकों दोस्तों ने भी इनकी हेरा-फेरी की बात स्वीकार की और खुद को लूटे जाने की बात कही। मेरी सभी ग्राहकों से विनती है कि जब कभी भी आप बिग बाजार कांगड़ा जाएं तो अतिरिक्त सतर्कता बरतें तथा खुद को ठगने से बचाएं क्योंकि बिग बाजार कांगड़ा में सब कुछ ठीक ही नहीं है।