मासूम बच्चों के शव देख पत्थर भी रो पड़े

लाड़लों की अंतिम विदाई के वक्त फट गया नूरपुर का कलेजा; जिंदगी भर को मिले जख्मों से हर आंख नम, रुक नहीं रही सिसकियां

खुवाड़ा गांव ने खो दिए 14 बच्चे

नूरपुर— अपने लाड़लों के शव देख मंगलवार को खुवाड़ा चीखो-पुकार से सिहर उठा और मासूम बच्चों के लिए विलाप ने गांव की हर आंख दुःख वे आंसू ला दिए, जो शायद की कभी सूखें। मासूम बच्चों के शवों को देख कर व उनके परिजनों के हृदय विदारक विलाप ने पत्थरों को भी आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया। एक घर से एक साथ चार बच्चों की मौत व उनको अंतिम संस्कार के लिए ले जाते वक्त हर कोई फूट-फूटकर रोया। इस गांव के लगभग 14 बच्चों की इस हादसे में मौत हुई है। इन मासूमों को अंतिम विदाई दने ने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे। बस हादसे में कुल 27 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 23 बच्चे एक बस ड्राइवर, एक महिला व एक पुरुष अध्यापक और अन्य महिला शामिल है। इन 23 बच्चों मं ेसे लगभग 14 बच्चे खुवाड़ा गांव के थे। गांव से इतनी बड़ी संख्या में मासूम बच्चों की मौत से मारे जाने से पूरा गांव खाली हो गया है।

11 मासूम अस्पताल में उपचाराधीन

नूरपुर—  हादसे में 11 बच्चे घायल हैं, जिनमें चार बच्चे सिविल अस्पताल नूरपुर में दाखिल हैं, जबकि गंभीर रूप से घायल सात बच्चों का इलाज अमनदीप अस्पताल पठानकोट में किया जा रहा है। सिविल अस्पताल नूरपुर में रणवीर, मुनीष, निशांत व कनिका दाखिल हैं। सिविल अस्पताल नूरपुर में दाखिल चार बच्चों से मुख्यमंत्री मिले व उनका कुशलक्षेम पूछा। उन्होंने रणवीर की बहादुरी की तारीफ  की, जिसने इस भयंकर हादसे में बच जाने के बाद इस हादसे की सूचना दी।

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