तमिलनाडु के कुंभकोनम जिले के पास माईलादुथुराई स्थान पर बुध देव का मंदिर स्थित है। कहते हैं ये मंदिर शिव जी का तांडव के लिए अभ्यास स्थल भी है। कई कारणों से प्रसिद्ध है यह स्थान तमिलनाडु में कुंभकोनम जिले के माईलादुथुराई स्थान से करीब 20 किलोमीटर दूर एक जगह है थिरुवेनकाडु, जहां बुध देव का एक प्राचीन और पवित्र मंदिर स्थित है। यह मंदिर कावेरी और मणिकर्णिका नदी के किनारे पर बना है और इस जगह को आदि चिदंबरम के नाम से भी जाना जाता है। यहीं पर नवग्रह भी स्थापित है। फिर भी इस स्थान पर मुख्य देवता के रूप में चार भुजाधारी बुध देव की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा होती है। थिरुवेनकाडु का एक नाम श्वेत अरण्य भी है, जिसका अर्थ होता है सफेद जंगल। साथ ही बुद्धि के देवता बुध का स्थान होने के चलते यह ज्ञान अरण्य क्षेत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है। एक कथा के अनुसार देवराज इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी ने भी यहां तप किया था। जिस तरह उत्तर में बनारस का महत्त्व है, उसी तरह दक्षिण में ये स्थान पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है।

शिव का अभ्यास स्थल-

प्राचीन काल का ये पवित्र मंदिर पूर्वाभिमुख है। वर्तमान काल में इसका जो स्वरूप नजर आता है, इसका निर्माण चोलकाल में हुआ था ऐसा माना जाता है। मंदिर की दो विशाल इमारत पूर्व और पश्चिम में भी निर्मित है, जिन पर आकर्षक नक्काशी है। इसी स्थान पर भगवान शिव का श्वेत रानेश्वर मंदिर भी बना है। ऐसा माना जाता है भगवान शिव ने तांडव नृत्य करने से पूर्व उसका अभ्यास इसी स्थान पर किया था। यहां मुख्य मंदिर में बुध देव और श्वेत रानेश्वर के अलावा ब्रह्मा और सरस्वती, दुर्गा, काली, अघोर मूर्ति और नटराज आदि देवताओं की भी पूजा की जाती है। प्राचीन परंपराओं के अनुसार श्रद्धालू बुध मंदिर की 17 बार परिक्रमा करते हैं और हर परिक्रमा में एक दीप प्रज्वलित किया जाता है। ऐसा विश्वास है कि इससे बुध ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाते हैं और बुध देव भक्त को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करते हैं।

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