2302 करोड़ से सेहतमंद बनेगा हिमाचल

स्वास्थ विभाग ने  रखा बजट, 2000 से ज्यादा पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया जारी

शिमला – हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष 2302 करोड़ रुपए स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च होंगे। साथ ही प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में पैरामेडिकल स्टाफ को भरने की कवायद भी प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है। प्रदेश के सूचना एवं जन संपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने ऐलोपैथी व आयुर्वेद चिकित्सकों के 500 के करीब पद भरने का इस वर्ष निर्णय लिया गया और इनमें से अधिकांश पदों को भरा भी गया। लगभग 2000 से अधिक पैरा मेडिकल स्टाफ  के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनमें मुख्यतः स्वास्थ्य में सहभागिता योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, मुख्यमंत्री राज्य स्वास्थ्य चिकित्सा योजना, प्रदेश सार्वभौमिक स्वास्थ्य संरक्षण योजना  शामिल है। प्रदेश को स्वस्थ प्रदेश बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस वर्ष से मुख्यमंत्री निरोग योजना संचालित की जाएगी। सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के अंतर्गत रेंडम रक्त शुगर परीक्षण, रक्तचाप परीक्षण दृष्टि जांच और अन्य लैब परीक्षण किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत 4.84 लाख परिवारों को सालाना 30 हजार रुपए तक का निःशुल्क कैशलेस उपचार सुविधा प्रदान की जा रही है, जबकि गंभीर बीमारियों के लिए पौने दो लाख रुपए से सवा दो लाख रुपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा है। इसी प्रकार का लाभ हिमाचल प्रदेश सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना के तहत 365 रुपए सालाना प्रीमियम पर अन्य ऐसे परिवारों को प्रदान किया जा रहा है।

आशीर्वाद के लिए 15 करोड़

राज्य में मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना आरंभ की गई है, जिसके तहत 1500 रुपए बेबी किट के रूप में नवजात को प्रदान किए जा रहे हैं। इससे हर वर्ष लगभग एक लाख नवजात शिशु लाभान्वित होंगे। इसके लिए बजट में 15 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

दुर्गम क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन

राज्य के दूरदराज ओर पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से बेहतर चिकित्सा उपचार सुविधा प्रदान करवाने के उद्देश्य से राज्य के 50 स्वास्थ्य उप-केंद्रों को टेलीमेडिसिन प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा। यह सुविधा लाहुल-स्पीति के काजा और केलांग में उपलब्ध करवाई जा रही है। इस वर्ष से पांगी को भी इसके तहत शामिल किया जाएगा। प्रदेश के जरूरतमंद गरीब लोगों के स्वास्थ्य उपचार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष का गठन किया गया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है।

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