260 करोड़ न लौटाए सरकार

कैग रिपोर्ट में जांगी-थोपन-पोवारी परियोजना पर सरकार को सलाह

शिमला— किन्नौर जिला की विवादित जांगी-थोपन-पोवारी परियोजना के 260 करोड़ रुपए की राशि का उल्लेख कैग की रिपोर्ट में भी है। यह मामला राजनीतिक तौर पर भी सुर्खियों में रहा है, जिसकी जब्त की गई राशि को वापस करने का दवाब न  केवल पूर्व सरकार पर भी बल्कि वर्तमान सरकार पर भी है। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने फिलहाल इस मामले  को लेकर चुप्पी साध रखी है परंतु सूत्र बताते हैं कि संबंधित कंपनी अपना पैसा वापस लेने के लिए जोड़-तोड़ कर रही है। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में भी इस परियोजना का विस्तार से उल्लेख किया है। कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि पूर्व सरकार यदि 260 करोड़ रुपए की जब्त की गई राशि को वापस लेना का फैसला लेती, तो वह गलत होता। क्योंकि नियमों के अनुसार परियोजना से संबंधित कंपनी पर कार्रवाई की गई है। यदि सरकार पैसा वापस लौटाए तो उसे राजस्व की हानि होगी और यहे नियमों का भी सरासर उल्लंघन होगा। पूर्व सरकार ने पैसा वापस करने का फैसला लगभग ले लिया था, लेकिन बाद में पैसे की वापसी नहीं की गई। कैग ने इस मामले की छानबीन के दौरान पाया कि जिन तथ्यों के आधार पर सरकार ने उस कंपनी से काम छीना वह सही थे परंतु जो राशि अब जब्त की जा चुकी है, उसकी वापसी करना गलत है। इस रिपोर्ट में साफ है कि जिस कंपनी को प्रोजेक्ट मिला था उसने समझौते का उल्लंघन किया, जिसके बाद उसकी अपफ्रंट प्रीमियम की राशि जब्त होनी चाहिए। बता दें कि वह राशि उस कंपनी ने किसी अन्य कंपनी से ली थी जो कि सरकार को दी गई परंतु बाद में दूसरी कंपनी इस पैसे को सरकार से वापस देने के लिए दवाब बना रही थी। अभी भी मौजूदा सरकार पर कहीं न कहीं से इसे लेकर दवाब है परंतु यह मामला राजनीतिक रूप ले चुका है और इससे सरकार की छवि पर असर पड़ेगा।