औषधीय गुणों से भरपूर काफल

यह जंगली फल एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। इसका फल अत्यधिक रस युक्त और पाचक होता है। काफल कई प्राकृतिक औषधीय गुणों से युक्त होता है। यह न सिर्फ  गर्मी से राहत देता है बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। सिर्फ  फल ही नहीं, अपितु इसके वृक्ष की छाल के भी कई औषधीय फायदे हैं…

गर्र्मियां शुरू होते ही जहन में तेज धूप, उमस और सुस्ती का ख्याल आने लगता है, लेकिन वहीं दूसरी ओर ऊंची- ऊंची पहाडि़यों पर पके छोटे और लाल रंग के काफल की कल्पना करते ही मन को एक छायादार और रसीला सुकून मिल जाता है। गर्मियां शुरू होते ही पहाडि़यों पर काफल पकना भी शुरू हो जाता है। प्रकृति के एक अनोखे वरदान के रूप में हिमालयी फल काफल सिर्फ  एक साधारण फल नहीं है अपितु इसके कई औषधीय फायदे भी हैं। काफल एक जंगली फल है जो कि हिमालयी क्षेत्रों में अधिक संख्या में होता है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इसके कई पेड़ देखने को मिलते हैं। काफल एक गुठली युक्त फल है, जो कि गुच्छों में होता है और पकने के बाद यह लाल रंग का हो जाता है। यह जंगली फल एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। इसका फल अत्यधिक रस युक्त और पाचक होता है। काफल कई प्राकृतिक औषधीय गुणों से युक्त होता है। यह न सिर्फ  गर्मी से राहत देता है बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। सिर्फ  फल ही नहीं, अपितु इसके वृक्ष की छाल के भी कई औषधीय फायदे हैं। काफल को पेट की बीमारियों का रामबाण इलाज माना जाता है। अल्सर की बीमारी में काफल काफी प्रभावी माना जाता है। काफल के ऊपर की परत मोम युक्त होती है, जिसे मोर्टिल मोम कहा जाता है और इस मोम को गर्म पानी मे उबालकर भी अलग किया जा सकता है। यही मोम अल्सर की बीमारी में प्रभावी माना जाता है। इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं। मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है। इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है। इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सिरदर्द में सूंघने के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसके चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। दांत दर्द के लिए छाल तथा कान दर्द के लिए छाल का तेल अत्यधिक उपयोगी है।  काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है। काफल को भूख की अचूक दवा माना जाता है। काफल के तेल व चूर्ण को भी अनेक औषधियों  के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेद में इसके अनेक गुण बताए गए हैं।

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