औषधीय गुणों से भरपूर सदाबहार

सदाबहार के अलावा नयनतारा नाम से लोकप्रिय फूल न केवल सुंदर और आकर्षक होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। यह पौधा सिर्फ  आपके गार्डन की शोभा ही नहीं बढ़ता बल्कि कई रोगों से छुटकारा भी दिलाता है। इसे कई देशों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है, जिसके गोल पत्ते अंडाकार, अत्यंत चमकदार व चिकने होते हैं। पांच पंखुडि़यों वाला यह पुष्प श्वेत, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों का होता है। अंग्रेजी में विंका के नाम से जाना जाने वाले सदाबहार फूल के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आज हम आपको इस पौधे से सही होने वाली बीमारियों के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं कौन सी बीमारियों को ठीक करता है ये पौधा।

डायबिटीज का होता है खात्मा

सदाबहार की जड़ों में रक्त शर्करा को कम करने का गुण होता है। दक्षिण अफ्रीका में सदाबहार के पौधे का उपयोग घरेलू नुस्खे के रूप में मधुमेह के उपचार में किया जाता रहा है। इसकी पत्तियों के रस का उपयोग डंक के उपचार में भी होता है। ये पेनक्रियाज के बीटा सैल्स को शक्ति प्रदान करता है, जिस से पेनक्रियाज सही मात्रा से इंसुलिन निकालने लगता है। इंसुलिन ही वो हार्मोंस है, जो ब्लड में शुगर की मात्रा को संतुलित करके रखता है। अगर आप किसी आयुर्वेद डाक्टर से सदाबहार के द्धारा डायबिटीज का इलाज पूछेंगे, तो वह भी आपको इसके लिए सलाह देंगे। यानी डायबिटीज के रोगियों को यह पौधा काफी लाभ पहुंचा सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर

सदाबहार की जड़ में अजमिलसिन और स्पार्टिन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं, जो के एंटी अतिसंवेदनशील होते हैं। ये गुण उच्च रक्तचाप के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ को साफ  करके सुबह चबा-चबा कर खाने से हाई ब्लड प्रेशर में काफी आराम मिलता है। इसके साथ में आप सर्पगंधा की जड़ को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों को मिला कर लेने से इसका रिजल्ट और भी अच्छा होगा। सर्पगंधा आप किसी पंसारी से ले सकते हैं। अगर सर्पगंधा न भी मिले तो भी आप अकेले सदाबहार की जड़ को उपयोग कर सकते हैं।

पेट के लिए है टॉनिक

सदाबहार की जड़ का उपयोग पेट के लिए टॉनिक के रूप में भी होता है। इसकी पत्तियों का सत्व मेनोरेजिया नामक बीमारी के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इस बीमारी में दरअसल असाधारण रूप से अधिक मासिक धर्म होता है। जिन लोगों को कब्ज या फिर पेट के अन्य रोग होते हैं, उनके लिए भी यह पौधा बहुत लाभदायक होता है। मुंह व नाक से रक्त स्राव विंका का उल्लेख ब्रिटेन औषधीय शास्त्र में सातवीं शताब्दी में मिलता है। कल्पचर नामक ब्रिटिश औषधि विशेषज्ञ ने मुंह व नाक से रक्त स्राव होने पर इसके प्रयोग की सलाह दी थी। लॉर्ड बेकन ने भी अंगों की जकड़न में इसका प्रयोग लाभदायक बताया। वैसे स्कर्वी, अतिसार, गले में दर्द, टांसिल्स में सूजन, रक्त स्राव आदि में भी यह लाभदायक होता है।

डिप्थीरिया रोग के उपचार में

सदाबहार की पत्तियों में मौजूद विंडोलीन नामक क्षार डिप्थीरिया के जीवाणु कारिनेबैक्टीरियम डिप्थेरी के खिलाफ  सक्रिय होता है। इसलिए इसकी पत्तियों के सत्व का उपयोग डिप्थीरिया रोग के उपचार में किया जा सकता है। इसके अलावा इस पौधे के जड़ का उपयोग सर्प, बिच्छु तथा कीट विषनाशक के रूप में किया जा सकता है।

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!