कंगाली की ओर कांग्रेस

फंड की कमी से जूझ रही पार्टी, मिशन 2019 में हो सकती है मुश्किल

नई दिल्ली— कांग्रेस पार्टी इस समय वित्तीय संकट से जूझ रही है और इस कारण 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने की उसकी क्षमता पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फंड की इतनी दिक्कत हो गई है कि पिछले पांच महीने से कांग्रेस नेतृत्व ने कई राज्यों में पार्टी कार्यालयों को संचालित करने के लिए जरूरी पैसा भी रोक दिया है। इसकी जानकारी रखने वाले पार्टी के लोगों ने बताया कि संकट से उबरने के लिए पार्टी के सदस्यों से योगदान का आग्रह किया गया है। साथ ही पदाधिकारियों से खर्चों में कटौती करने को भी कहा गया है। इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राजनीतिक चंदा हासिल करने के मामले में बीजेपी ने रिकार्डतोड़ बढ़त हासिल की है। फाइनाशियल ईयर 2016-17 में 81 फीसदी की ग्रोथ के साथ बीजेपी ने सबसे ज्यादा 1,034 करोड़ रुपए कमाए। यही नहीं, सात राष्ट्रीय दलों में से उसकी अकेले की कमाई अन्य छह पार्टियों को मिलाकर भी दोगुनी है। बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, तृणमूल, सीपीएम, सीपीआई और एनसीपी जैसे राष्ट्रीय दलों को कुल 1,559 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले हैं। इसमें करीब दो तिहाई हिस्सा बीजेपी को ही मिला है। आमतौर पर केंद्र की सत्ता पर काबिज दल को सबसे अधिक चंदा मिलता है, लेकिन बीजेपी ने यूपीए की दौर की कांग्रेस को इस मामले में पीछे छोड़ दिया है। बीजेपी को 1034 करोड़ रुपए में से 997 करोड़ स्वैच्छिक दान के रूप में मिले, जो उसकी कुल आय का करीब 96 फीसदी है। इसमें भी 533 करोड़ रुपए उसे उन लोगों से मिले, जिन्होंने 20,000 रुपए से अधिक का चंदा दिया। कांग्रेस की कमाई में 2015-16 की तुलना में 14 फीसदी की कमी आई है और उसे 225.36 करोड़ रुपए की आय हुई है।

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