कालका-शिमला रेलवे सफर से मायूस

एचपीयू के एमटीए विभाग के सर्वे में खुलासा, १०२ पर्यटकों से की बात

शिमला — यूनेस्को से वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त करने वाले कालका-शिमला रेलवे का सफर विदेशी पर्यटकों को वह खुशी और अनुभव नहीं दे पा रहा, जो विदेशी पर्यटक सोचकर आते हैं। विदेशी पर्यटकों में इस ट्रैक पर सफर करने का खासा उत्साह है, लेकिन सफर में उनका अनुभव संतोषजनक नहीं है। पर्यटक यह ऐतिहासिक सफर करने के बाद खुशी जाहिर नहीं करते हैं और इस बात का खुलासा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एमटीए विभाग के छात्रों द्वारा किए गए शोध में हुआ है। उन्होंने 102 पर्यटकों से बात की। इस सर्वे में जो तथ्य सामने आए हैं, वे रेलवे सहित पर्यटक के लिए भी बेहतर नहीं है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों के इस सफर में हुई संतुष्टि और जागरूकता की बात की जाए तो 4.9 फीसदी ही पर्यटकों का आंकड़ा ऐसा है, जो इन दोनों पहलुओं से बेहद खुश है, जबकि 32.35 फीसदी पर्यटक संतुष्ट और 50.98 फीसदी का अनुभव सामान्य रहा है। इस हेरिटेज ट्रैक के तीन मुख्य स्टेशन कालका, शिमला और बड़ोग हैं, जहां स्वच्छता न होने से विदेशी पर्यटक नाखुश हैं। तकनीकी रूप से इस टै्रक पर चलने वाली गाडि़यों में सुधार नहीं किया गया है, अगर आपातकाल में ट्रेन रोकनी पड़े, तो इसके लिए किसी तरह की चेन ट्रेन में नहीं लगी है। इसकी जगह स्विच ट्रेन में लगाया गया है, जो अन्य स्विच की तरह ही है। ऐसे में किस हस्वच का आपातकाल में ट्रेन रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाना है, इसके बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में इस टै्रक पर सफर करते हुए विदेशी पर्यटकों का अनुभव अच्छा नहीं बन पा रहा।

ये हैं कमियां

हेरिटेज टै्रक पर सफर करने वाले विदेशी यात्रियों का कहना है कि हेरिटेज ट्रैक पर दौड़ाई जाने वाले टॉय ट्रेन में न तो स्वच्छता है, न ही उन्हें इन ट्रेन में बैठने के लिए कोई ऐसी सुविधाएं उपलब्ध है, जिससे बुजुर्ग और विकलांग आसानी से चढ़ सकें। भाषा को लेकर भी जानकारी टै्रक या इससे जुड़े स्थानों के बारे में विदेशी पर्यटकों को नहीं रही, क्योंकि रेलवे के पास विदेशी भाषाएं जैसे फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले गाइड का अभाव है।

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