कोनेश्वरम मंदिर

नीले रंग का समुद्र और सुंदर मंदिर को देखकर इसके प्राकृतिक सौंदर्य पर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। क्योंकि मंदिर तिब्बती पहाड़ कैलाश पर्वत (भगवान शिव का प्राथमिक निवास) पर स्थित होने के कारण दक्षिण का कैलाश के नाम से भी जाना जाता है…

रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और इस बात का अंदाजा आप इस मंदिर को देखकर लगा सकते हैं। वर्तमान समय में श्रीलंका में शिवजी का बहुत बड़ा मंदिर है, जिसे हम कोनेश्वरम के नाम से जानते हैं। श्रीलंका में पूर्वी तट पर स्थित है कोनेश्वरम महादेव मंदिर। इसका निर्माण रावण द्वारा किया गया था। यह शहरप्राकृतिक छटा का वर्णन करता है। नीले रंग का समुद्र और सुंदर मंदिर को देखकर इसके प्राकृतिक सौंदर्य पर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। क्योंकि मंदिर तिब्बती पहाड़ कैलाश पर्वत(भगवान शिव का प्राथमिक निवास) पर स्थित होने के कारण दक्षिण का कैलाश के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की रचनाकारी में ग्रेनाइट रंग की चट्टान को काटकर लगाया गया है। मंदिर की स्थापत्य कला शैली बहुत सुंदर है। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में भी किया गया है। कोनेश्वरम को श्रीलंका के पंच ईश्वरम के रूप में सम्मानित किया गया है। कोनेश्वरम श्रीलंका के सांस्कृतिक धार्मिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चोलवंशी राजाओं के संरक्षण में इस मंदिर का शीघ्रता से विकास हुआ और यह एक विशाल गोपुरम और एक हजार स्तंभों का मंदिर बन गया। अपनी कीर्ति की चरम सीमा पर इसके परिसर ने पूरी पहाड़ी अपने अंदर समा ली थी। अपनी वास्तुकला के लिए इस मंदिर को सबसे बड़ी इमारत के रूप में सम्मानित किया गया था। मध्य युग में इसके गोपुरमों और टावरों को सोने से मढ़वाया गया था। शिवलिंग के ठीक सामने समुद्र के टीले पर शिव भक्त रावण की विशालकाय मूर्ति दोनों हाथ जोड़े भगवान की आराधना की प्रतीक है। मंदिर में वार्षिक कार्यक्रम पारंपरिक रथ महोत्सव, नवरात्र, शिवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। सन् 1622 में पुर्तगालियों ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। भगवान शिव, पार्वती और गणेश की मूर्तियों की खोज के उपरांत इस मंदिर का पुनःनिर्माण किया गया।

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