जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाएंगे उद्योग घराने

शिमला— शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशालय निरक्षर बच्चों की पहचान करने के बाद अब एक नई मुहिम शुरू करने वाले हैं। एसएसए के तहत अब प्रदेश के उन जिलोें के बड़े-बड़े उद्योग घरानों से बात होगी, जिनके पास काफी संख्या में मजदूर वर्ग कार्य कर रहा हो। इन मजदूरों के बच्चे गरीबी की वजह से स्कूलों में शिक्षा को शुरू नहीं कर पा रहे हैं। एसएसए ने प्रदेश के कई जिलों से हजारों ऐसे मासूमों की पहचान की है, जो कि गरीबी व जागरूकता न होने की वजह से स्कूलों में जा ही नहीं पाए। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष 5000 से भी अधिक निरक्षण छात्रों की पहचान की गई, वहीं इस साल भी विभाग की यह मुहिम जारी है। हैरानी की बात है कि विभाग की टीम ने जिन जिलों से छात्रों की पहचान की है, वे ज्यादातर बद्दी, हमीरपुर, सिरमौर और चंबा है। शिक्षा विभाग व एसएसए की ओर से करवाए गए इस सर्वे के बाद ही विभाग ने यह फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार विभाग जल्द ही इस बारे में प्रदेश में चल रहे बड़े उद्योग मालिकों से बैठक करेंगे और बजट डिमांड के साथ मजदूरों के बच्चों का खर्चा उठाने के भी निर्देश देंगे। राज्य परियोजना निदेशालय का उद्योग मालिकों से शिक्षा पर बजट डिमांड करने का यह प्रोपोजल पहली दफा ही बनाया गया है। प्रदेश में शिक्षा योजना को बढ़ावा देने के लिए यह एक नई दिशा है, विभाग की यह योजना अगर सफल हो जाती है तो प्रदेश में शिक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार से आने वाले बजट के अलावा एक्सट्रा बजट की बढ़ोतरी भी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से निरक्षर बच्चोें की पहचान कर उन्हें इस तरह से शिक्षा दी जाती है कि दो सालों में उन्हें सामान्य छात्रों के आधार पर पहुंचाया जाता है। इन बच्चों की पढ़ाई अलग से विशेष शिक्षण संस्थान में शुरू की जाती है, जहां इनका रहना खाना व किताबें फ्री में दी जाती हैं।

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