जानिए दस सिर वाले रावण के रहस्य

एक बार रावण ने एक सुंदर अप्सरा को देखा। वो अप्सरा नल कुबेर की प्रेयसी थी। रावण ने उस अप्सरा को अपनी राक्षसी प्रवृत्ति का शिकार बना डाला। नल कुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि वो किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा तो उसके मस्तक के सात टुकड़े हो जाएंगे…

-गतांक से आगे…

क्यों बनी वानरों की सेना?

अब सवाल ये उठता है कि जब श्री राम विष्णु अवतार थे तो रावण को मारने के लिए वे सर्वशक्तिशाली सेना का प्रयोग कर सकते थे, लेकिन उन्होंने वानरों की ही सेना का निर्माण क्यों किया? इसके पीछे भी एक रहस्य मिलता है। शक्ति और ऐश्वर्य से घिरा दसग्रीव खुद को भगवान समझने लगा था। पूरे ब्रह्मांड को वह अपने अधीन मानता था। एक बार दसग्रीव अपनी शक्ति के मद में चूर पुष्पक विमान से विचरण करता हुआ सरकंडा के वन में पहुंचा। कुछ दूरी पर पहुंचने के बाद उसका विमान आगे नहीं बढ़ रहा था। तभी उसे एक आवाज सुनाई दी कि यहां से लौट जाओ, भगवान शिव और माता पार्वती यहां विश्राम कर रहे हैं। तेज रोशनी में दसग्रीव को भगवान शंकर के दूत नंदी का मुख वानर के समान प्रतीत हुआ। दसग्रीव ने वानर कहकर नंदी का परिहास किया। तब नंदी ने उसे श्राप दिया और कहा कि तुमने वानर कहकर मेरा उपहास किया है तो वानरों की सेना ही तुम्हारे वध में सहायक होगी।

रावण ने सीता जी से कभी जबरदस्ती नहीं की

रावण इतना बलशाली था, लेकिन फिर भी वो सीता से विवाह करने की याचना करता था। जबकि त्रिलोक के बड़े-बड़े वीर उसके आगे कांपते थे। वह चाहता तो जबरन विवाह कर सकता था। लेकिन रावण सीता से चाहकर भी विवाह नहीं कर सकता था क्योंकि उसे श्राप था। एक बार रावण आकाश मार्ग से विचरण करता हुआ जा रहा था। तभी उसने एक सुंदर अप्सरा को देखा। वो अप्सरा नल कुबेर की प्रेयसी थी। रावण ने उस अप्सरा को अपनी राक्षसी प्रवृत्ति का शिकार बना डाला। नल कुबेर को जब रावण के इस कुकृत्य का पता चला तो उसने रावण को श्राप दिया कि यदि वो किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा तो उसके मस्तक के सात टुकड़े हो जाएंगे। यही कारण था कि रावण सीता से बार-बार प्रणय याचना करता था, उसने सीता के साथ कभी जबरदस्ती नहीं की।

श्री राम ने रावण के सीने में क्यों नहीं चलाया तीर?

राम और रावण में घमासान युद्ध चल रहा था। राम रावण के शीश काट रहे थे। तब सभी के मन में सवाल था कि आखिर श्री राम रावण के हृदय पर तीर क्यों नहीं चला रहे। देवताओं ने ब्रह्मा जी से यही प्रश्न किया। तब भगवान ब्रह्मा ने कहा कि रावण के हृदय में सीता का वास है, सीता के हृदय में राम वास करते हैं और राम के हृदय में सारी सृष्टि है। ऐसे में यदि श्री राम रावण के हृदय पर तीर चलाते तो सारी सृष्टि नष्ट हो जाएगी। जैसे ही रावण के हृदय से सीता का ध्यान हटेगा, वैसे ही श्री राम रावण का संहार करेंगे। इसलिए विभीषण जब रावण के वरदान का रहस्य बताने श्री राम के पास पहुंचे तो रावण के हृदय से सीता का ध्यान हट गया। फिर भगवान राम ने आततायी राक्षस की नाभि पर तीर चलाकर वध किया। रावण वध का यही दिन दशहरा या विजयदशमी कहलाया। इस तरह रावण की संपूर्ण कहानी रहस्यों व रोमांच से भरी पड़ी है। इस कहानी के अनेक पड़ाव हैं जिनमें रोमांच ही रोमांच  भरे पड़े हैं।

-समाप्त

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