दया-संवाद, शिक्षा की नई प्रणाली का अनुसरण जरूरी

धर्मशाला – मौजूदा 21वीं सदी की पीढ़ी को दया, संवाद और शिक्षा की नई प्रणाली का अनुसरण जरूर करना चाहिए। इससे भावी पीढ़ी के मन में नैतिक गुणों का संचार होगा। ये शब्द बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने शनिवार को मकलोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में 42 देशों से आए 960 भारतीय और विदेशी पर्यटकों से कहे। उन्होंने कहा कि पूरे ब्रह्मांड से केवल सात अरब इनसान इस धरती पर हैं। ये सभी जैविक रूप से एक समान हैं और उनकी मूलभूत इच्छा दुख-दर्द से दूर खुशहाल जीवन है। हम सभी का जीवन आपस में इस तरह जुड़ा है कि एक व्यक्ति का भविष्य दूसरे की बेहतरी पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि वह जहां भी जाते हैं, अपने आपको इन्हीं सात अरब लोगों में से एक मानते हैं। इससे सभी भाई-बहनों से खुद को और करीब से जुड़ने में मदद मिलती है। धर्मगुरु ने कहा कि धार्मिक और सामाजिक सद्भावना को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां पिछले हजारों सालों से सभी धर्मों और संस्कृति को पूरा मान-सम्मान दिया जाता रहा है।

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