धारा-118 को आसान बनाने पर काम शुरू

शिमला  – प्रदेश में धारा 118 के सरलीकरण की कवायद आरंभ हो गई है। राज्य सरकार ने इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें चार सदस्य अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा तीन प्रधान सचिव स्तर के प्रशासनिक अधिकारी शामिल किए गए हैं। यह उच्च स्तरीय कमेटी हिमाचल प्रदेश पट्टा नियम-2013 के संशोधन की सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। इस आधार पर हिमाचल में सरकारी जमीन को लीज पर देने के नियम सरल हो जाएंगे।  राज्य सरकार प्रदेश में निवेशकों को खींचने के लिए यह कदम उठा रही है। इसके अलावा अनावश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्रों की शर्त हट जाने से भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी समाप्त होंगी। जारी अधिसूचना के अनुसार पट्टा नियम संशोधन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन और अतिरिक्त मुख्य सचिव रोजगार को सदस्य बनाया गया है। प्रधान सचिव उद्योग, प्रधान सचिव ऊर्जा और प्रधान सचिव  विधि भी कमेटी के सदस्य होंगे। राजस्व विभाग उपसचिव को कमेटी का संयोजक बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि धारा 118 के जटिल नियमों के चलते हिमाचल प्रदेश में उद्योगपति निवेश से भाग रहे हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश पट्टा नियम 2013 की जटिलता के चलते प्रदेश में कल्याणकारी इकाइयों के लिए जमीन लीज पर लेना मुश्किल है। इन्हीं कड़ी शर्तों के चलते राज्य में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के निवेशकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, परवाणू और नालागढ़ खाली हो रहे हैं। जटिल नियमों के चलते ऊना तथा कांगड़ा में राज्य सरकारों के अथक प्रयासों के बावजूद उद्योग स्थापित करने की मुहिम ठप पड़ गई है। जाहिर है कि हिमाचल प्रदेश में लैंड टेंडेसी रिफार्म  एक्ट 1972 की धारा 118 के तहत गैर कृषक जमीन नहीं खरीद सकते हैं। हिमाचलियों के हित में लागू किए गए इस नियम की आड़ में अब जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। बाहरी निवेशकों को औद्योगिक इकाई स्थापित करने से पहले औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दोनों हाथों से निचोड़ा जा रहा है। नियम के तहत निजी जमीन खरीदने के लिए धारा 118 की अनुमति राज्य सरकार देती है। सरकारी जमीन को लीज पर लेने के लिए पट्टा नियम-2013 लागू होता है। इसकी औपचारिकता के लिए पटवारी से लेकर कैबिनेट तक की मंजूरी मिलने के लिए बरसों बीत जाते हैं। लैंड लीज और जमीन खरीदने की प्रक्रिया के लिए कई दफ्तरों की प्ररिक्रमा करनी पड़ती है। इस नियम के तहत जमीन खरीदने और निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ही कई विभागों से एनओसी लेने की जटिल प्रक्रिया है। लिहाजा पट्टा नियम के संशोधन के लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी है।

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