नक्सलवाद की आग

राजेश कुमार चौहान

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से नक्सलियों ने सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया। इसमें कुछ सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए। भारत के कुछ राज्यों में नक्सलवाद की समस्या आतंकवाद से भी खतरनाक समस्या बन चुकी है। केंद्र और नक्सल प्रभावित राज्यों में सरकारें लगभग हर राजनीतिक पार्टी की सत्ता में आती रही हैं, लेकिन नक्सलवाद की आग पर कोई भी सरकार काबू नहीं पा सकी है। नक्सलवादियों तक हथियार कैसे पहुंचते हैं या फिर उन्हें हमले करने की ट्रेनिंग कौन देता है? नक्सलवाद का कारण भी कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं? इन सवालों का हल सरकार को ढूंढना चाहिए। यह न हो कि नक्सलवाद के पीछे देश विरोधी ताकतों का भी हाथ हो।। नक्सलवाद के नासूर को खत्म करने के लिए मोदी सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे पर अमल करते हुए नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों की तरफ गंभीरता से ध्यान देते हुए वहां विकास के कार्यों पर जोर देना चाहिए। वहां के पीडि़त और शोषित वर्ग की तरफ सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। नक्सलवाद का मुख्य कारण भ्रष्टाचार और कुछ राजनेताओं की घटिया राजनीति भी है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जब तक देश में से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा और जब तक राजनेता इस समस्या पर भी गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आएंगे, तब तक देश में से नक्सलवाद की आग बुझना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन लगता है। नेताओं को राजनीति से ऊपर उठकर सरकार का सहयोग करना चाहिए।

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