‘पुरानी राहों’ में ढूढेंगे हिमाचल की संस्कृति

भाषा व संस्कृति विभाग की ऐतिहासिक पहलुओं को सामने लाने की योजना

हमीरपुर— भाषा एवं संस्कृति विभाग ने ऐसी ऐतिहासिक चीजों को सहेजा है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। फिर भी बहुत सारे ऐसे पहलू हैं, जो पीछे छूट गए हैं और लुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे पहलुओं को भाषा एवं संस्कृति विभाग खोजने का काम करेगा। विभाग की ओर से इसके लिए खाका तैयार कर लिया गया है और 24 मई को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में इसे अप्रूवल के लिए ले जाने का प्लान है। माना जा रहा है कि ‘आज पुरानी राहों से’ सांस्कृतिक परिधि योजना न केवल बहुत सी पुरानी चीजों को सामने लाएगी और आज की युवा पीढ़ी उससे रू-ब-रू करवाएगी, बल्कि पर्यटन को बूस्ट करने में भी काफी मदद मिलेगी। इसका उदेश्य हर जिले की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के साथ महान व्यक्तित्व, पौराणिक गाथाओं व हस्तशिल्प कलाओं को सामने लाना है। इसके अलावा होम स्टे जैसी योजनाओं को फिर से जीवित करने का प्लान भी है। भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से सभी जिलों के डीसी को पत्र लिखकर कहा गया है कि वे एक समिति गठित करें, जिसमें उन लोगों को शामिल करें, जिन्हें वहां के इतिहास की पूरी जानकारी हो। वहीं, पर्यटन विभाग, जिला भाषा अधिकारी और जिला लोक संपर्क अधिकारी को भी इसमें शामिल कर अनछुई विरासत को तलाशा जाए।

चंद लोग जानते हैं कुछ बातें

प्रदेश का हर जिला किसी न किसी बात के लिए प्रसिद्ध है, जिसे सभी जानते हैं। इन जिलों में कई ऐतिहासिक मंदिर, किले आदि हैं, जिनके पीछे कई कहानियां छिपी हैं। इसी तरह नदियों का अपना इतिहास है। कई घटनाएं या कई ऐसे योद्धा या कलाकर हुए हैं, जिन्हें सिर्फ एक सीमित क्षेत्र के लोग ही जानते हैं। उन्हें दुनिया के सामने लाने के लिए आज ‘पुरानी राहें’ काफी मददगार होंगी।

युवाओं को मिलेगा रोजगार

‘आज पुरानी राहों से’ योजना न केवल पर्यटन को बूस्ट करने में मददगार होगी, बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। बताते हैं कि युवाओं को सांस्कृति गाइड बनाया जाएगा। इसमें किसी भी युवा की शैक्षणिक योग्यता कम से कम बाहरवीं पास होनी चाहिए और उसे अपने क्षेत्र के धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों की पूरी जानकारी होनी चाहिए।

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