रूसा से मिली ग्रांट कहां खर्च, दें ब्यौरा

शिक्षण संस्थानों को कैंपस में बोर्ड लगा दर्शाना होगा किस काम के लिए कितनी राशि

शिमला – राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत जिस भी संस्थान को ग्रांट मिली है, उसे अपनी ग्रांट में पारदर्शिता दिखानी होगी। संस्थानों को रूसा से मिली राशि को किस कार्य के लिए खर्च किया, इसका ब्यौरा विभाग को देने के साथ ही छात्रों के बीच भी इसे सार्वजनिक करना होगा। हालांकि इस प्रक्रिया के तहत पहल तो प्रदेश के कालेजों ने शुरू भी कर दी है। अब सभी शिक्षण संस्थानों को जिन्हें रूसा के तहत ग्रांट पहली बार मिल रही है या पहले भी मिल रही थी, उन्हें भी अब इसे सार्वजनिक करना होगा। रूसा की ग्रांट से क्या कार्य संस्थान ने कितनी राशि खर्च कर किए, उसे ंसंस्थान के कैंपस में एक बोर्ड  लगाकर संस्थान को प्रदर्शित करना होगा। प्रदेश के अधिकतर कालेजों ने तो इस तरह के बोर्ड भी अपने-अपने कालेज के कैंपस में लगवा लिए है, जहां पर रूसा से मिली ग्रांट का ब्यौरा पूरा दिया गया है। ग्रांट प्राप्त कर रहे संस्थानों  में मात्र हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ही ऐसा एकमात्र संस्थान है, जिसने अभी तक यह बोर्ड कैंपस में नहीं लगाया है। विश्वविद्यालय को भी परिसर में इस तरह का बोर्ड लगाकर उस बोर्ड पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत मिली ग्रांट का पूरा ब्यौरा देना होगा। प्रदेश को इस योजना के तहत करोड़ों की ग्रांट मिल रही है। ग्रांट से शिक्षण संस्थानों में कही भवनों, होस्टलों, लैब, स्मार्ट क्लास रूम, लैब के लिए सामान सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। एचपीयू में भी बहुत से कार्य इसी ग्रांट से हुए हैं, लेकिन बोर्ड न लगने या पादर्शिता न होने से छात्रों को इसकी जानकारी ही नहीं होती है।

पहले-दूसरे चरण में इतनी मिली ग्रांट

प्रदेश की बात करें, तो प्रदेश में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को रूसा के तहत 17 करोड़ की ग्रांट पहले चरण और अब दूसरे चरण में 20 करोड़ की ग्रांट मिल चुकी है। वहीं प्रदेश के 43 के करीब कालेजों को भी दो-दो करोड़ के करीब ग्रांट जारी हो चुकी है और अभी हाल में ही प्रदेश के अन्य 14 कालेजों को भी 28 करोड़ यानी की दो-दो करोड़ रुपए ग्रांट जारी की गई है। इसके अलावा दो मॉडल कालेज और एक इंजीनियरिंग कालेज को भी करोड़ों इस योजना के तहत मिले हैं।

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