विश्वविद्यालय रूसा में बदलाव को तैयार नहीं

 शिमला — राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली को नए सत्र से वार्षिक आधार पर लागू करने की सिफारिश सरकार की ओर से गठित रिकंसिडरिंग कमेटी की ओर से की गई है। कमेटी ने तो रूसा को वार्षिक आधार पर लाने के सुझाव अपनी रिपोर्ट में दे दिए हैं, लेकिन जिसे रूसा को चलाना है, वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रशासन ही रूसा के इस बड़े बदलाव के लिए तैयार नहीं है। सरकार द्वारा चुनावों के समय प्रदेश के युवाओं से रूसा को लेकर किए गए वादे को पूरा करने को लेकर छात्रों द्वारा बनाए जा रहे दबाव को लेकर रिकंसिडरिंग कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने भी मात्र सरकार के चुनावी वादे को ध्यान में रखते हुए रूसा में सुधार की संभावनाएं न तलाश कर मात्र रूसा को वार्षिक आधार पर किस तरह से लागू किया जा सकता है, इसे लेकर ही चर्चा कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी गई। हालांकि मामले में कमेटी ने विवि का भी पक्ष लिया था, लेकिन इसमें भी विवि ने रूसा को वार्षिक आधार पर लागू करने में असमर्थता जताई थी। अब जिस विवि को ही रूसा का संचालन करना है, वह इसके लिए तैयार नहीं है, तो किस तरह से इस प्रणाली को फिर से सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। प्रदेश के 136 के करीब कालेजों का संचालन एचपीयू की ओर से किया जा रहा है। अभी तक यूजी डिग्री में रूसा के ही दो सिस्टम चल रहे हैं। इसके अलावा पहले से भी लागू वार्षिक सिस्टम के तहत भी अभी पासआउट बैच के छात्रों की परीक्षाएं करवा रहा है। ऐसे में अब अभी जून-जुलाई माह में प्रदेश के कालेजों में नया बैच बैठना है और इस बैच को रूसा के सेमेस्टर सिस्टम से अलग कर वार्षिक आधार पर लागू किया जा रहा है, जो कि रूसा में चौथा बड़ा बदलाव है। ऐसे में विवि को एक ही डिग्री कोर्स के लिए चार-चार अलग-अलग पैटर्न में परीक्षाएं करवाने के साथ ही परीक्षा परिणाम भी घोषित करना होगा। वहीं अगर सरकार की ओर से कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की सिफारिशों को मंजूर करती है, तो वार्षिक सिस्टम के लिए एचपीयू को अपने सॉफ्टवेयर से लेकर रूसा आर्डिनेंस, अकादमिक रिफार्म के साथ ही सिलेबस और परीक्षाओं के शेड्यूल में भी पूरी तरह से बदलाव करना होगा, जो कि इतने कम समय में संभव नहीं है।

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