स्थापना-पूरा टीला खोदने पर पंडित जी का स्वप्न सच साबित हुआ तथा उसमें से शनिदेव की एक प्रतिमा निकली। प्रतिमा को बाहर निकालकर उसकी स्थापना मंदिर में की गई। यही प्रतिमा आज इस शनि मंदिर में स्थित है। इस प्रतिमा के एक और चमत्कार की कथा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि शनिदेव की प्रतिमा पहले वर्तमान मंदिर में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा के स्थान पर थी। एक शैनश्चरी अमावस्या पर यह प्रतिमा स्वतः अपना स्थान बदलकर इसके वर्तमान स्थान पर आ गई। तब से शनिदेव की पूजा उसी स्थान पर हो रही है और यह श्रद्धालुओं की पुरातन आस्था का केंद्र बन गया है।
इंदौर के मंदिर में शनि जयंती
हर वर्ष शनि जयंती पर इस मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान भारत के प्रसिद्ध संगीतकार अपने संगीत की प्रस्तुति द्वारा शनिदेव के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस बार शनि जयंती 15 मई को धूमधाम से मनाई जाएगी। 21 बटुक ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ कर शनिदेव का आह्वान किया जाएगा।
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