शिक्षा बोर्ड को नहीं मिला ‘अपना’ चेयरमैन

नहीं हो पाई तैनाती, अतिरिक्त अध्यक्ष के सहारे चल रहा बोर्ड

धर्मशाला— प्रदेश के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में सरकार नियमित नियुक्तियां नहीं कर पाई है। प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में नियमित अध्यक्ष आने की उम्मीद लगाए बैठे बोर्ड अधिकारियों, कर्मचारियों सहित छात्रों को सरकार ने एक बार फिर कार्यकारी चेयरमैन के सहारे छोड़ दिया गया है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी ऐसे ही हालात बने हैं। वहां भी लंबे इंतजार के बाद भी कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। राज्य में शिक्षाविदों की लंबी कतारों के बाबजूद इन महत्त्वपूर्ण पदों पर सरकार कामचलाऊ व्यवस्था किसलिए कर रही है, यह हैरत का विषय बन गया है। हालांकि जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही बोर्डों निगमों के अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों को तुरंत प्रभाव से हटा दिया था। इसके बाद लग रहा था कि अब जल्द इन पदों पर योग्य व्यक्ति बिठाया जाएगा, लेकिन शिक्षा बोर्ड जैसे अहम संस्थान में भी अभी तक नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति न हो पाने से शिक्षा बोर्ड चर्चा में आ गया है। गौर हो कि शिक्षण संस्थानों में हर वर्ष लाखों छात्र परीक्षा देकर अगले शैक्षणिक सत्र में पहुंचते हैं। ऐसे में शिक्षा बोर्ड और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के महत्त्वपूर्ण पदों को भरना तो राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अतिरिक्त कार्यभार से काम तो चल रहा है, लेकिन शिक्षा बोर्ड में तो संबंधित फाइलों पर साइन करवाने को भी बोर्ड अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दूसरे स्थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं। शिक्षा बोर्ड में पहले कई दिनों तक चेयरमैन का पद खाली ही रहा और बाद में कांगड़ा के डिवीजनल कमिश्नर राजीव शंकर को बोर्ड अध्यक्ष का अतिरिक्त जिम्मा सौंप दिया। उनके पास कई दिनों तक बोर्ड अध्यक्ष का प्रभार रहने के बाद अब नियमित अध्यक्ष आने की उम्मीद जताई जा रही थी कि अचानक अरुण शर्मा को अतिरिक्त कार्यभार सौंपे जाने का समाचार आ गया। इसे देखकर हर कोई हैरान है कि सरकार शिक्षा बोर्ड को इतने हल्के में  क्यों ले रही है। हालांकि पिछले दिनों अपने प्रवास के दौरान जब शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बोर्ड अधिकारियों से बैठक की तो जल्द नियमित चेयरमैन तैनात करने की बात की थी। उन्होंने शैक्षणिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने और इसे अधिक बेहतर बनाने का भी दावा किया था, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो पाया है।

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