श्री स्वस्थानी माता

गरली के निकटवर्ती तहसील कार्यालय रक्कड़ स्थित पंचपीरी नामक स्थान पर मां श्री स्वस्थानी का भव्य मंदिर अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कहा जाता है कि मां श्री स्वस्थानी का भव्य आलीशान मंदिर एशिया का पहला ऐसा स्थान है, जहां हिमाचल के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि देश-विदेश के भक्त भी खिंचे चले आ रहे हैं। श्री स्वस्थानी माता के बारे में एक कथा प्रचलित है। मंदिर प्रबंधक एवं सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद शर्मा बताते हंै कि जहां मौजूदा समय मंे श्री स्वस्थानी माता का भवन विराजमान है, वहां स्थानीय जिला के कई भक्त इकट्ठे होकर कुछ विशेष दिनों मंे स्वस्थानी माता का व्रत और कथा को पढ़ा करते थे। यह क्रम वर्ष 1999 से 2008 तक तक लगातार चलता रहा। जब माघ महीने में शुक्ल पूर्णिमा वाले दिन पूजा का समापन हवन यज्ञ कर रहे थे, तो मन में विचार आया कि क्यों न इस जगह पर हिमाचल के अनाथ बच्चों व बेसहारा बजुर्गों के लिए आश्रम बनाया जाए। इसी निमित्त हमने वर्ष 2008 को यहां एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया और आश्रम बनाने के लिए भूमि पूजन करवाया, लेकिन  दुखद बात तो यह रही कि सब कुछ होने के बावजूद न ही धन जुटा और न ही एक इर्ंट लगी। अधिवक्ता ने कहा कि इस बात को लेकर दिन-रात परेशानी बढ़ने लगी, लेकिन शायद श्री स्वस्थानी माता को यह बात मंजूर नहीं थी। एक दिन मैं मन ही मन अलौकिक एहसास की अनुभूति करने लगा और मैंने उसी समय श्री स्वस्थानी माता से प्रार्थना की कि हे मां यदि आप यहां अपना स्थान लेना चाहती हंै, तो मैं इस बार जनवरी महीने में लगातार एक महीने तक निरंतर निराहार व्र्रत रखूंगा। अगर यह व्रत निर्विघ्न संपूर्ण हो गया, तो मैं समझूंगा कि आपने यहां अपना मंदिर बनाने की मुझे आज्ञा दे दी है। इस दौरान न केवल मेरा व्र्रत बिना किसी अड़चन से पूरा हुआ, बल्कि अगामी एक वर्ष के भीतर ही यहां आलीशान भव्य मंदिर बन कर तैयार हो गया और 14 जनवरी 2013 को हजारों श्राद्धालुओं की मौजूदगी में करीब साढ़े तीन क्विंटल की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित करवा दी गई।

        अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!