सरकारी स्कूलों में शुरू होनी चाहिए प्री-नर्सरी

 शिमला —हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या का कारण स्कूलों में छात्रों को आकर्षित करने के लिए नई योजना का शुरू न होना है। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री पवन मिश्रा ने शिमला में कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बजाय शिक्षकों पर नए एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं और इससे शिक्षा व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पवन मिश्रा ने कहा कि हाल ही में शिक्षक महांसघ की ओर से एक सर्वे करवाया गया, जिसमें यह सामने आया था कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की इनरोलमेंट घटने का एक कारण तीन वर्ष की आयु में छात्रों को दाखिला न देना है। उन्होंने बताया कि अगर सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षाएं शुरू हो जाती हैं तो इससे स्कूलों में एनरोलमेंट बढ़ सकती है। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों में जिस तरह से अलग-अलग ढंग से शिक्षकों की भर्ती हो रही है, यह भी एक कारण है कि अभिभावकों का विश्वास सरकारी स्कूलों में कम होता जा रहा है। महासंघ के सदस्यों ने सरकार से मांग उठाई है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती कमीशन और बैचवाइज की जाए। शिक्षकों ने शिक्षकों को 4-9-14 का स्केल लाभ, पदोन्नति व ग्रेड-पे की सुविधा शिक्षकों को देने की मांग उठाई है।  महासंघ के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री पवन मिश्रा ने कहा कि अब जल्द ही प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के साथ शिक्षा की दशा व दिशा पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें शिक्षकों से सुझाव लिए जाएंगे कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की एनरोलमेंट कैसे बढ़ाई जा सकती है। यह कार्यशाला हर जिला में होगी।

ट्रांसफर एक्ट का किया विरोध

प्रदेश शिक्षक महासंघ के सदस्यों ने ट्रासंफर एक्ट का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षक इस एक्ट के विरोध में है। उन्होंने कहा कि अगर इस एक्ट में शिक्षकांें को अलग से काडर और  सुविधाएं दी जाएं तो तब उन्हें कोई ऐतराज नहीं, लेकिन जिस तरह से सिर्फ शिक्षकों पर ही इस एक्ट को थोपने का प्रयास किया जा रहा है, वह बिलकुल असहनीय है।

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