स्कूली वाहन सुरक्षा

देव गुलेरिया, योल कैंप

आज के इस वैज्ञानिक, डिजिटल, तकनीकी युग में शिक्षा बहुत ही महत्त्व रखती है। यह सोच कि क्यों न हमारा बच्चा एक उच्च वैज्ञानिक डाक्टर, खिलाड़ी, व्यसायी बने? यह सोच हमें बच्चे को तीन वर्ष की आयु में ही स्कूल भेजने का निर्णय लेना एक मजबूरी हो गया है। अब प्रश्न उसके स्कूल भेजने का जो कि एक जटिल है, हमारे समक्ष जवाब मांगता है कि कैसे उसे स्कूल भेजा जाए, क्योंकि मां-बाप के पास तो समय का अभाव है और न ही वह बच्चे को पैदल भेजना पसंद करते हैं, जिसके कई कारण व्यक्त कर देते हैं। अतः अब उनके पास एक ही विकल्प बच जाता है कि उसे स्कूल वाहन से ही स्कूल भेजा जाए। अब सबसे कठिन प्रश्न है कि उसकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए? वाहन के मालिक-चालक के बारे में अज्ञानता-स्कूल वाहन की तकनीकी गुणवत्ता, उसके अंदर बैठने की क्षमता जाने बिना ही उसे बस के अंदर धकेल अपनी जिम्मेदारी निभा देते हैं। आज आवश्यक है कि मां-बाप अपने बच्चों को खुद स्कूल पहुंचाने का दायित्व निभाएं। अगर असंभव है तो ही स्कूल वाहन के विकल्प की सोच बनाएं। उस स्कूल के मालिक-चालक की व्यक्तिगत जानकारी को सुनिश्चित करें। स्कूल वाहन की क्षमता चालक के साथ उसका सहायक या कोई शिक्षक की मौजदूगी सुनिश्चित अवश्य करें। स्कूल प्रशासन के साथ समन्वय बनाए रखें, जिसके लिए शिक्षक-पेरेंट्स मीटिंग एक मुख्य विकल्प आपके पास उपलब्ध है। पुलिस को स्कूल के पास नाका लगा अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करनी चाहिए। वाहन मालिक सरकार के परिवहन विभाग की मदद ले सकते हैं।

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