कश्मीर में गुड़ गोबर

कृष्ण संधु, कुल्लू

कश्मीर में अरबों खर्च किए जा रहे हैं, रेलवे ट्रैक बिछाने में, जबकि वहां आजादी तक एक इंच भी रेलवे ट्रैक नहीं था। इसमें एक रेल पुल एशिया का सबसे ऊंचा पुल होगा। इतनी सुविधाएं मुहैया करवाने के बावजूद भारत सरकार को वहां शांति बहाल करने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। देश की जनता की खून-पसीने की कमाई से अदा किए गए करों से यह सब निर्माण हो रहे हैं। परंतु लगता है यह मेहनत गहरे कुएं में डूब रही है। तो फिर क्यों इस तरह सार्वजनिक धन की बर्बादी की जा रही है। अब समय आ गया है कि ये सब सुविधाएं देना बंद होनी चाहिए। उधर, हिमाचल की तरफ नजर डालें जहां पहले ही दो नैरो गेज रेल ट्रैक ब्रिटिश समय के बने हैं, तो फिर ऐसा क्या है कि आजादी के 70 वर्ष बाद नए ट्रैक तो क्या पुराने बने हुए इन रेल ट्रैक की भी सही तरीके से देखभाल नहीं हो रही है। जबकि प्रदेश में पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं, परंतु इनका दोहन करने के लिए न सही सड़कें, न ही कोई रेल पटरी और न ही कोई हवाई सेवा, तो क्या इस शांतिप्रिय प्रदेश के निवासी भी खुराफाती हो जाएं। सरकार आम जनता के लिए कुछ करना चाहती है, तो इस पर गंभीरता से विचार करे।