यह घाटी प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह सिरमौर से पावंटा नगर के अस्तित्व में आने के बाद पावंटा घाटी के नाम से भी जानी जाती है। यमुना नदी इसे देहरादून से अलग करती है…
गतांक से आगे…
सतलुज घाटी : ऋषि मुनि यहां साधना करते समय अनादि काल से इनका प्रयोग करते रहे हैं। इनमें आज के सेब, नाशपाती और अन्य कई विदेशी जातियों के फलों से कहीं अधिक स्वाद और शक्ति विद्यमान है। शतद्रु के आसपास पयूर, तीतर बटेर चिडि़यां, टिटिभ, मटोलड़ी, जंगली मुर्गे, मोनाल, कठफोड़े, कोए आदि अनेक प्रकार के पक्षी विचरण करते हैं।
क्यारदा दून घाटी
यह घाटी प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह सिरमौर से पावंटा नगर के अस्तित्व में आने के बाद पावंटा घाटी के नाम से भी जानी जाती है। यमुना नदी इसे देहरादून से अलग करती है। क्यारदा दून घाटी उत्तर में नाहन के पर्वत पृष्ठ से लेकर दक्षिण में शिवालिक पहाडि़यों तक फैली हुई है। बाटा नदी इसको सींचती है। इसी घाटी में पांवटा साहिब नगर है, जहां सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा व राम मंदिर है। इस घाटी के मैदानी इलाकों में शामिल है नीलखेड़ा तथा इसके नजदीक क्षेत्र में निचली डारथी जो बाटा नदी के उत्तर में स्थित है। जामुनखड़ा का पूर्वी भाग टिल्ला गरीबनाथ का पश्चिम भाग तथा राजबन का दक्षिण क्षेत्र क्यारदा दून घाटी का पारदून क्षेत्र जो कि माजरा गांव के नजदीक स्थित है। छोटी -छोटी पहाडि़यां तथा जंगलों से घिरा हुआ है। यह अपने आप में प्राकृतिक किला है। जहां पहुंचने के लिए एक मात्र सड़क ऊबड़-खाबड़ रास्ते ही हैं।