यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है, जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं।
इस साल 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। अमरनाथ यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण शुरू हो गया है। अब तक कई लाख श्रद्धालुओं ने देशभर मे पंजीकरण करवा लिया है। सरकार की कोशिश होगी कि यात्री जम्मू से सुरक्षा दस्ते के साथ ही यात्रा पर जाएं। अधिकतर श्रद्धालू सीधे जम्मू में रुके बिना अपने वाहनो से पहलगाम व बालटाल पहुंच जाते हैं। अमरनाथ के दर्शन हर कोई नहीं कर सकता। 13 साल से कम और 75 साल से अधिक उम्र के श्रद्धालू इस यात्रा में हिस्सा नहीं लेते। इसके अलावा जो दिल के मरीज हैं, उन्हें भी यात्रा की इजाजत नहीं दी जाती।
इस धार्मिक यात्रा के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों की टीम ही मेडिकल सर्टिफिकेट देती है। बाबा बर्फानी की यात्रा धार्मिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही यहां के रोचक नजारे भी सबका मन मोह लेते हैं। पांच किमी की लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद जब व्यक्ति 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के दर्शन करता है तो उसकी सारी थकान दूर हो जाती है।