भय्यूजी महाराज ने गोली मारकर की आत्महत्या

इंदौर— जाने-माने आध्यात्मिक गुरु और सामाजिक कार्यकर्ता भय्यूजी महाराज ने मंगलवार को कथित तौर पर खुद को गोली मार ली। उन्हें घायल अवस्था में इंदौर के बांबे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई है। आत्महत्या के कारण का पता नहीं चल सका है। इसी बीच भय्यूजी महाराज का सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिससे साफ पता चल रहा है कि भय्यूजी महाराज काफी तनाव में थे और शायद इसी वजह से उन्होंने खुदकुशी कर ली। सुसाइड नोट में अंग्रेजी में लिखा गया है कि किसी को वहां परिवार की देखभाल के लिए होना चाहिए। मैं जा रहा हूं… काफी तनावग्रस्त, परेशान था। पुलिस महानिरीक्षक मकरंद देवस्कर ने कहा है कि सुसाइड नोट और पिस्टल को बरामद कर लिया गया है। सभी पहलुओं से मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जाएगी। डीआईजी हरीनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि हमने सुसाइड नोट को जब्त कर लिया है। सुसाइड नोट में उन्होंने मानसिक तनाव का जिक्र किया है, लेकिन तनाव की वजह अभी साफ नहीं हो सकी है। हम मामले की जांच कर रहे हैं। भय्यूजी ने पहली पत्नी की मौत के बाद पिछले साल ही दूसरी शादी की थी। इंदौर पुलिस के इंस्पेक्टर जयंत राठौड़ ने बताया कि भय्यूजी ने खुद को सिर में गोली मारी। अभी पता नहीं चल सका है कि भय्यूजी ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया। बता दें कि भय्यूजी राजनीति में गहरी पैठ रखते थे। हाल ही में शिवराज सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था। हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि संतों के लिए पद का महत्त्व नहीं होता। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए लोगों की सेवा का महत्त्व है। भय्यूजी महाराज को राजनीतिक रूप से ताकतवर संतों में गिना जाता था। उनका असली नाम उदयसिंह देशमुख था और उनके पिता महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। उनका नाम तब चर्चा में आया था, जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे को मनाने के लिए यूपीए सरकार ने उनसे संपर्क किया था। जवानी के दिनों में सियाराम शूटिंग शर्टिंग के लिए पोस्टर माडलिंग करने वाले संत भय्यूजी तलवारबाजी, घुड़सवारी और खेती का काम भी करते थे। मजेदार यह है कि वह फेस रीडर भी थे।

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