रैगिंग पर लगे रोक

राजेश कुमार चौहान

12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद छात्र-छात्राएं आगे की पढ़ाई करने के लिए कालेज का रुख करते हैं, लेकिन कालेज में जाकर उन्हें सबसे पहले रैगिंग का सामना करना पड़ता है। रैगिंग अगर जान-पहचान तक ही सीमित हो, तो फिर उचित है, लेकिन रैगिंग के नाम पर किया जाने वाला अभद्र व्यवहार सरासर अनुचित है। रैगिंग के डर से कुछ विद्यार्थी इतने तनाव में आ जाते हैं कि वे अपने सीनियर के सामने आने से घबराते हैं। डर सच्चा भी है, क्योंकि कुछ सीनियर छात्र रैगिंग लेने के लिए इस हद तक गिर जाते हैं कि जो नैतिकता और अनुशासन के बिलकुल  विरुद्ध होता है। रैगिंग एक कानूनी अपराध है। रैगिंग करने वालों की शिकायत पुलिस में भी की जा सकती है। रैगिंग से परेशान युवा कई बार आत्महत्या करने की नौबत तक पहुंच जाते हैं। रैगिंग रोकने के लिए शिक्षा संस्थाओं के प्रशासन  को गंभीरता दिखानी चाहिए। वहीं युवाओं को भी बिना किसी हिचकिचाहट या डर के रैगिंग  करने वालों की शिकायत प्रशासन या पुलिस से करनी चाहिए। अगर कहीं कोई सुनवाई न  हो, तो मीडिया के जरिए अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी विद्यार्थी रैगिंग का शिकार न हो।