समय के बदलाव में बदला पत्रकारिता का अंदाज

भारतीय पत्रकारिता करीब दो सदी पुरानी है। समय में बदलाव के साथ ही पत्रकारिता का अंदाज भी बदला है और सोशल मीडिया भी सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम बना है, लेकिन आज भी लोग प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता को ही विश्वसनीय मानते हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रदेश काफी प्रगति कर रहा है। प्रदेश में इस समय दर्जनों समाचार पत्र, टीवी और वेब चैनल काम कर रहे हैं। जब पत्रकारिता से जुड़े कुछ विषयों को लेकर लोगों से राय ली तो सभी ने अपनी राय बेवाकी से यूं रखी…

ई-पेपर से पाठकों को मिला लाभ

राजकुमार का कहना है कि मोबाइल और इंटरनेट के चलन के कारण आजकल पाठक अखबार कम खरीदता है, क्योंकि पाठक इंटरनेट पर अखबार मुफ्त में पढ़ लेता है। जबकि काउंटर से उसे चार से पांच रुपए में खरीदनी पड़ेगी। वर्तमान में सभी बड़े-छोटे समाचार पत्रों ने अपने-अपने ई-पेपर यानी इंटरनेट संस्करण निकाल दिए हैं, जिसका सबसे बड़ा फायदा पाठकों को हुआ है। वह कहीं भी बैठकर कोई भी अखबार पढ़ सकता है, देख सकता है।

इंटरनेट पर हो रही आसानी

मीना ठाकुर का कहना है कि खबरों की इंटरनेट पर मुफ्त और आसान उपलब्धता के चलते आने वाले समय में अखबार उद्योग पर बुरा असर पड़ेगा। आजकल पाठक इंटरनेट से ई-पेपर मुफ्त में पढ़ लेते हैं, जबकि अखबार चार से पांच रुपए में मिलती है। इंटरनेट पर पाठक किसी भी अखबार का इंटरनेट संस्करण फ्री में पढ़ सकते हैं, जबकि अगर यही अखबारें काउंटर से खरीदेंगे तो चार से पांच रुपए प्रति अखबार मिलेगी।

 अखबारों का मूल्य कम करना होगा

मनीषा गोस्वामी का कहना है कि गली-मोहल्ले से लेकर राष्ट्र तक और राष्ट्र से लेकर विश्व तक की गतिविधियों का चित्र समाचार-पत्रों के माध्यम से हमारे सामने आ जाता है। आज समाचार पत्र सर्वसुलभ हो गए हैं। समाचार पत्रों के इंटरनेट संस्करण आसानी से मिल रहे हैं। इसके चलते अखबार कम बिक रहे हैं। अखबारों को अपनी साख बचाने के लिए इनका मूल्य कम करना होगा ताकि सर्वसाधारण इन्हें खरीद सकें ।

अखबार पढ़ने में आता है मजा

चमन लाल का कहना है कि जो मजा अखबार में छपे समाचारों को पढ़ने में आता है। वह मोबाइल पर नहीं आता। हालांकि आजकल के युवा अखबार कम पढ़ते हैं, लेकिन इंटरनेट संस्करण या सोशल मीडिया पर डाली गई न्यूज कटिंग को जरूर पढ़ लेते हैं। समाचार पत्रों के इंटरनेट संस्करण आसानी से मिल रहे  हैं। इसके चलते अखबार कम बिक रहे हैं।

फेसबुक पर डालते हैं कटिंग

किरण ठाकुरं का कहना है कि वह इंटरनेट पर ही विभिन्न अखबारों का संस्करण पढ़ लेती है और कुछ लोग फेसबुक, व्हाट्स ऐप के माध्यम से अपने क्षेत्र से संबंधित खबरों की कटिंग डालते रहते हैं। जिसे सभी पढ़ लेते हैं। इसके चलते अखबार खरीदने की जरूरत ही नहीं रहती।

ई-पेपर का क्रेज बढ़ा

अमर ठाकुर का कहना है कि आने वाला समय इंटरनेट का है। समाचार पत्रों के पाठक मोबाइल पर ही समाचार पत्रों के इंटरनेट संस्करण पढ़ने लगे हैं। इसके चलते आने वाले समय में अखबारों का आस्तित्व तकरीबन समाप्त हो जाएगा। इसके लिए अखबार उद्योग को कारगर कदम उठाने होंगे, ताकि इंटरनेट संस्करणों के साथ-साथ अखबारों की हार्ड कॉपी भी बाजार में बिक सके।

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