सात एक्सईएन चार्जशीट

पीडब्ल्यूडी में टेंडरों की बंदरबांट पर प्रदेश सरकार सख्त

शिमला— लोक निर्माण विभाग के सात डिवीजनों में टेंडरों की बंदरबांट की गाज अधिशाषी अभियंताओं पर गिरी है। डी क्लास के ठेके ए क्लास के ठेकेदारों को आबंटित करने के आरोप में सरकार ने सात एक्सईएन चार्जशीट कर दिए हैं। आरंभिक जांच पूरी होने के बाद सरकार ने इस मामले में विभाग से कमेंट मांगे हैं। इस आधार पर जांच रिपोर्ट सीएम ऑफिस भेजी जाएगी। करीब दो साल पहले टेंडर आबंटन की इस अनियमितता में लोक निर्माण विभाग मंडल उदयपुर, जोगिंद्रनगर, बैजनाथ, कुल्लू-1, डलहौजी, कुल्लू-2 तथा भरमौर के तत्कालीन एक्सईएन चार्जशीट कर दिए गए हैं। अपने आरोपों का जवाब देते हुए अधिकारियों ने कहा है कि आपदा के चलते कुछ कार्य तत्काल करवाने पड़े हैं। सड़क मार्गों को तुरंत प्रभाव से खोलने, भवनों-पुलों को आपदा से बचाने के लिए आपात स्थिति में ए क्लास कांट्रेक्टर को डी श्रेणी के काम आबंटित किए गए हैं। बहरहाल, राज्य सरकार के इस पक्ष से संतुष्ट नहीं हुई है। लिहाजा लोक निर्माण विभाग के ईएनसी से इस पर कमेंट मांगे गए हैं। विभाग से प्रतिक्रिया आने के बाद राज्य सरकार इस मामले में लॉ ओपिनियन भी ले सकती है। इस आधार पर अंतिम कार्रवाई से पहले जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार कई डिवीजन में आपात स्थिति के चलते अधिकारियों को मजबूरन निर्माण कार्य ए क्लास के कांट्रेक्टर से करवाने पड़े हैं। मसलन भारी बारिश के चलते सड़क मार्गों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने पर आपात स्थिति से निपटने के लिए टेंडर बड़े ठेकेदारों को दिए गए हैं, ताकि जनहित में यातयात को सुचारू रूप से चलाया जा सके। हालांकि इसी आड़ में कुछ डिवीजनों में जमकर अनियमितताएं हुई हैं। आपदा के नाम पर लोक निर्माण विभाग के इक्का-दुक्का डिवीजनों में निर्माण कार्यों की बंदरबांट की गई है। इस कारण सरकार इस मामले में निर्दोष अधिकारियों को किसी भी प्रकार की पीड़ा देने के हक में नहीं है। इसके विपरीत भ्रष्टाचारी मानसिकता वाले अफसरों को किसी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। इसी कारण चार्जशीट किए गए सातों एक्सईएन के जवाबों सहित विभाग के कमेंट आने पर यह फाइल सीएम ऑफिस में भेजी जाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकारी फंक्शनों से लेकर सामाजिक कार्यक्रमों तक सभी आयोजनों का जिम्मा पीडब्ल्यूडी के कंधों पर रहता है। लंच-डिनर की व्यवसथा से लेकर वीआईपी की मेजबानी फूल-मालाओं से करने का सारा दायित्व लोक निर्माण विभाग पर थोंपा जाता है। भारी बारिश और भू-स्खलन के चलते मार्गों के अवरुद्ध होने पर टेंडर प्रक्रिया के लिए एक महीने की समयावधि का इंतजार संभव नहीं है। इस कारण कई बार विभाग को सरकार के निर्देश पर आपात स्थिति में काम करवाने पड़ते हैं। हालांकि इसकी आड़ में कुछ अधिकारी जमकर घोटाले करते हैं। अधिकारियों की इसी मानसिकता की स्कैनिंग के लिए इस मामले की गंभीर जांच हो रही है।

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