सेशल्ज ने तोड़ी सैन्य अड्डा बनाने की डील

मालदीव-रूस के बाद दिया भारत को बड़ा झटका

विक्टोरिया – मालदीव-रूस के बाद सेशल्ज ने एक अहम डील रद्द कर भारत को तगड़ा झटका दिया है। एक ओर सेशल्ज के राष्ट्रपति डैनी फॉरे के 25 जून को प्रस्तावित भारत यात्रा की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर सेशल्ज ने भारत के साथ असम्पशन आइलैंड पर नौसैन्य अड्डा बनाने के समझौते को रद्द कर दिया है। सेशल्ज के राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने साफ कर दिया है कि वह भारत यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के साथ असम्पशन आइलैंड प्रोजेक्ट को लेकर कोई बातचीत नहीं करेंगे। डैनी फॉरे ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि भारत के साथ असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा बनाने की परियोजना पर अब आगे काम नहीं किया जाएगा। सेशल्ज के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि इस प्रोजेक्ट के सभी उद्देश्य अब खत्म हो चुके हैं और सेशल्ज अगले साल खुद इस सैन्य अड्डे का निर्माण करेगा और द्वीप पर सैन्य सुविधाएं देगा। सेशल्ज का यह कदम एक तरह से भारत के कूटनीतिक प्रयासों के लिए असफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है। अभी पिछले दिनों रूस के साथ मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट डिवेलप करने की भारत की नौ अरब डालर की डील टूटने की भी खबर आई। सेशल्ज द्वारा सैन्य अड्डे का समझौता तोड़ने की वजह से चीन को काउंटर करने के लिए लिए डिफेंस क्षेत्र में अपने फुट प्रिंट बढ़ाने में जुटे भारत की कवायद को झटका लगा है।  भारत और सेशल्ज के बीच साल 2015 में यह समझौता हुआ था, जब पीएम मोदी इस देश के दौरे पर गए थे। हालांकि, इस डील पर पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर ने दोबारा चर्चा शुरू की थी और उन्हीं ने हस्ताक्षर भी किए थे। वहीं सूत्रों की मानें तो भारत सेशल्ज के साथ दूसरे समझौते करने की तैयारी कर रहा है। एक डिफेंस पोर्टल के मुताबिक सेशल्ज समुद्री सुरक्षा के लिए फ्रांस के साथ सौदा कर सकता है। इस खबर को वरिष्ठ फ्रेंच डिफेंस अधिकारी ने हवा भी दी, जिनके मुताबिक फ्रांस सेशल्ज में एक सैन्य अड्डा बनाना चाहता है, ताकि हिंद महासागर क्षेत्र में रहने वाले फ्रांसिसी नागरिकों की सुरक्षा कर सके।

विपक्ष के नेता रामकलावन जिम्मेदार

सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस डील के टूटने के लिए विपक्ष के नेता भारतीय मूल के रामकलावन को जिम्मेदार ठहरा रही है, जिन्होंने भारत की यात्रा के बाद इस डील के लिए हामी भर दी थी, लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गए। यह डील विपक्ष की मंजूरी के बिना पास नहीं हो सकती है।