हिमाचल में पौधों की उम्र बढ़ाएगी सरकार

प्लांटेशन की नीति में किया गया बदलाव, पौधारोपण का सर्वाइवल रेट 90 फीसदी तक लाने की तैयारी

शिमला— हिमाचल सरकार का प्लांटेशन का आधा बजट मिट्टी हो गया है। वन पौधारोपण पर खर्च होने वाली करीब 40 फीसदी राशि के गर्क होने की पुष्टि हुई है। इसके चलते राज्य में प्लांटेशन का सर्वाइवल रेट 60 फीसदी तक सिमट गया है। अब गंभीर स्थिति से निपटने के लिए हिमाचल सरकार ने प्लांटेशन की नीति में बदलाव किया है। इसके तहत प्रदेश भर में अब दीर्घायु श्रेणी के पौधे रोपित होंगे। इसमें सबसे ज्यादा संख्या देवदार की शामिल की गई है। सबसे बड़ा फैसला यह लिया गया है कि प्लांटेशन के बाद पौधों की देखभाल का जिम्मा वन विभाग को सात साल तक निर्धारित कर दिया गया है। इस समयावधि में प्लांटेशन रेट गिरने पर संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश में पहली जुलाई से पौधारोपण आरंभ होगा। दो माह तक प्रस्तावित प्लांटेशन के सीजन में टॉल वेरायटी के पौधे रोपित करने का फैसला लिया गया है। योजना के तहत कम से कम तीन साल तक नर्सरी में तैयार होने वाले पौधों की प्लांटेशन होगी। पौधारोपण के दौरान नर्सरी से पैकिंग में रखी गई खाद और मिट्टी को भी शामिल किया जाएगा। जाहिर है कि हिमाचल सरकार के नियमों के तहत पौधारोपण के बाद इसकी देखभाल का जिम्मा तीन साल तक रहता है। इसके बाद पौधों के मृत पाए जाने पर विभाग की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। इसी कारण सरकार ने कड़ा निर्णय लिया है कि यह समयावधि तीन साल से बढ़ाकर सात साल कर दी जाएगी। इस दौरान पौधों का सर्वाइवल रेट 90 फीसदी से कम होने पर फोरेस्ट गार्ड से लेकर डीएफओ तक को जवाबदेह बनाए जाने का प्रावधान किया गया है। अहम है कि प्लांटेशन के बाद पौधों की निगरानी ड्रोन से की जाएगी। पुख्ता सूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में प्लांटेशन की सर्वाइवल रेट 60 फीसदी से ऊपर दर्ज नहीं हो रहा है। यह आंकड़ा भी विभागीय दावों के अनुसार प्रस्तुत किया जाता है। हालांकि मौके पर परिस्थितियां इसके भी विपरीत होने का पक्का अनुमान है। इन्हीं संभावनाओं का अध्ययन करने के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण कपूर ने प्लांटेशन की पालिसी में बदलाव करते हुए कई कड़े फैसले लिए हैं। बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश के कबायली जिला लाहुल-स्पीति में प्लांटेशन पर अब तक अरबों की राशि खर्च की जा चुकी है। बावजूद इसके शीत मरुस्थल में प्लांटेशन का सर्वाइवल रेट 10 फीसदी भी दर्ज नहीं हो पाया है। यही कारण है कि लाहुल-स्पीति में अब भी पेड़ ढूंढने पर नहीं मिलते हैं।

यह है नई पौधारोपण नीति

* प्रदेश में अब दीर्घायु श्रेणी के पौधे रोपित होंगे

* देवदार के पेड़ों की संख्या होगी सबसे ज्यादा

*  वन विभाग को सात साल संभालने की जिम्मेदारी

* सर्वाइवल रेट गिरा तो संबंधित अधिकारी जवाबदेह