अल्ट्रासाउंड के लिए चंबा का सफर

भरमौर— भरमौर हलके की हजारों की आबादी को स्पेशलिस्ट का प्रबंध करने में सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है। खासकर गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए 60 से 80 किलोमीटर का सफर तय कर जिला मुख्यालय की ओर रुख करना पड़ रहा है। हालांकि भरमौर स्थित सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन भी उपलब्ध है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट के न होने के चलते यह भी सफेद हाथी साबित हो रही है। नतीजतन गर्भवती महिलाओं के लिए भरमौर या होली घाटी से जिला मुख्यालय का सफर गड्ढे भरों मार्ग पर तय करना पड़ रहा है और इस दौरान सफर में एक हल्की सी चूक का गर्भवती को बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। जनजातीय क्षेत्र भरमौर के तहत 29 ग्राम पंचायतें आती है, जबकि दो दर्जन के करीब पंचायतें गैर जनजातीय क्षेत्र की है। क्षेत्र के लोगों की सहूलियत के लिए सिविल अस्पताल भरमौर में अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित की गई थी। लेकिन मौजूदा समय में करीब छह माह से यह मशीन भी सफेद हाथी साबित हो रही है। चूंकि यहां पर तैनात स्पेशलिस्ट डा. आदित्य का चंबा के लिए तबादला हो चुका है, जिसके बाद से सिविल अस्पताल भरमौर में स्थित अल्ट्रासाउंड मशीन को भी सील्ड कर दिया गया है। हैरानी की बात है कि भरमौर उपमंडल के अधीन आने वाले गरोला और होली अस्पताल में भी अभी तक अल्ट्रासाउंड की सुविधा मौजूद नहीं है। इस स्थिति में हजारों की आबादी को जिला मुख्यालय की ओर रुख करना पड़ रहा है और मुख्यालय में भी घंटों कतार में लगने के बाद सुविधा मिल पा रही है। अहम है कि गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह चिकित्सकों की ओर से दी जाती है, लेकिन समूचे भरमौर क्षेत्र में ही अभी तक अल्ट्रासाउंड की सुविधा मौजूद नहीं है। मात्र दो वर्ष तक ही यहां पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा जनता को मिल पाई है, जिसके बाद यहां पर स्थापित मशीन भी सफेद हाथी साबित हो रही है।