अविश्वास प्रस्ताव पर शिवसेना खामोश

केंद्र सरकार का साथ देगी पार्टी या नहीं, संसद में ही खुलेंगे पत्ते

नई दिल्ली— अविश्वास प्रस्ताव को लेकर एनडीए की सहयोगी शिवसेना के स्टैंड पर संशय बरकरार है। गुरुवार को पहले खबरें आ रहीं थी कि शिवसेना ने गठबंधन के साथ जाने का फैसला लिया है, लेकिन शाम होते-होते उसके इस फैसले पर संशय के बादल छा गए। शिवसेना के संसदीय दल के नेता आनंद राव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी तक इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है। शिवसेना के सांसद शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में मौजूद रहेंगे, लेकिन उनका रुख क्या होगा, यह अभी तक साफ नहीं है। उन्होंने बताया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शुक्रवार को ही इस संबंध में कोई भी फैसला लेंगे। वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि पार्टी अपने स्टैंड का खुलासा सदन के फ्लोर पर ही करेगी। राउत की मानें तो फैसला लिया जा चुका है, लेकिन इस संबंध में फ्लोर पर ही जानकारी दी जाएगी। उधर, आप ने कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करेगी। गौर हो कि 2003 के बाद पहली बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले खेमेबंदी शुरू हो गई है। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतविभाजन से एक दिन पहले कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई। इसमें शुक्रवार को लोकसभा में सरकार को घेरने और विपक्षी दलों में व्यापक सहमति बनाने की रणनीति पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं थे, हालांकि सोनिया गांधी मौजूद रहीं। बैठक के बाद पार्टी के एक सांसद ने बताया कि इस बैठक में शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा और मतविभाजन को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा की गई। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस विपक्षी दलों के बीच व्यापक सहमति बनाने की कोशिश करेगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीसामी ने संकेत दिया है कि संभवतः उनकी पार्टी एआईएडीएमके मोदी सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) द्वारा आंध्र प्रदेश के हित से जुड़े मुद्दे को लेकर लाया गया है। पलानीसामी ने कहा कि जब उनकी पार्टी के सांसदों ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल नियमन समिति के गठन को लेकर लगभग तीन हफ्ते तक लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी थी, उस समय किसी पार्टी ने तमिलनाडु का समर्थन नहीं किया था। उधर, डीएमके और ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजद ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा है।