ईको टूरिज्म

विश्व प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के प्रवास के 50 वर्ष पूरे होने पर राजाजी नेशनल पार्क के चौरासी कुटी में अगले वर्ष भव्य समारोह का आयोजन उत्तराखंड सरकार की राज्य में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम है। भावातीत ध्यान के प्रणेता महर्षि महेश योगी का आश्रम रही चौरासी कुटी की नैसर्गिक छटा आज भी देखते ही बनती है। न सिर्फ  चौरासी कुटी, बल्कि इस जैसे राज्य के तमाम स्थलों को भी प्रकृति आधारित पर्यटन यानी ईको टूरिज्म से जोड़ने की पहल में सरकार जुट गई है। उसके इन प्रयासों में केंद्र की उस पहल से संबल मिला है, जिसमें ईको टूरिज्म के साथ ही नेचर एजुकेशन और जनसहभागिता को नेशनल वाइल्ड लाइफ  प्लान का हिस्सा बनाया गया है। इससे न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य हिमालयी राज्यों को भी लाभ मिलेगा। बात उत्तराखंड की ही करें तो यहां की नैसर्गिक छटा सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है, लेकिन ऐसे तमाम स्थल अभी भी पर्यटकों की निगाह से दूर हैं, जो विदेशों को भी मात देते हैं। फिर इस राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का करीब 15 फीसद हिस्सा वैसे ही संरक्षित क्षेत्र है, जिसमें छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजरवेशन रिजर्व शामिल हैं। इन संरक्षित स्थलों को ही लें तो विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क देशभर में बाघों के दूसरे बड़े घर के रूप में उभरा है तथा राजाजी नेशनल पार्क एशियाई हाथियों के लिए पहचान रखता है। यही नहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में नंदादेवी बायोस्फीयर से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक हिम तेंदुओं का आकर्षण किसी से कम नहीं है। कुदरत ने न सिर्फ संरक्षित क्षेत्रों, बल्कि इससे बाहर भी मुक्त हाथों से प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव के अनूठे संसार की नेमत बख्शी है। संरक्षित क्षेत्रों से इतर भी यहां की जैव और वन्यजीव विविधता भरी पड़ी है। सूरतेहाल, ईको टूरिज्म के वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान का हिस्सा बनने पर ये स्थल भी लोगों की निगाह में आएंगे। इससे न सिर्फ राजस्व में इजाफा होगा, बल्कि वन एवं वन्यजीव के साथ ही जैव विविधता के संरक्षण में आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित हो सकेगी।