एक हफ्ते में आएगी हिमाचल की नई खेल नीति

खेल मंत्री गोविंद ठाकुर का ऐलान, पंजाब-हरियाणा की तरह तैयार हो रही पालिसी

धर्मशाला— प्रदेश को एक सप्ताह के भीतर नई खेल नीति मिल सकती है। पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर राज्य की अपनी खेल नीति तैयार की जा रही है, जो फाइनल स्टेज पर है। वन, परिवहन व युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि नई नीति में खेल के सर्वांगीण विकास से जुड़े़ सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मंत्री मंगलवार को धर्मशाला के पुलिस मैदान में भारतीय खेल विकास बोर्ड द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराज्यीय चैंपियनशिप के शुभारंभ के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार खिलाडि़यों को विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार कर रही है तथा इसके लिए खिलाडि़यों को हर तरह से प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने खिलाडि़यों से आह्वान किया कि वे प्रतिस्पर्धा के दौर में कड़ी मेहनत कर हर चुनौती का सामना करने के लिए खुद को तैयार रखें। मौजूदा दौर में वही आगे बढ़ पाएगा, जिसमें प्रतियोगिता की भावना होगी एवं हर कला में परंपरागत होगा। उन्होंने कहा कि दि ग्रेट खली ने डब्ल्यूडब्ल्यूई में प्रदेश का नाम रोशन किया है। गरीब घर से होने के बावजूद जो मुकाम दलीप सिंह राणा ने हासिल किया है, वह काबिलेतारीफ  है। खेल मंत्री ने खेल के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। हिमाचल खेल विकास बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दमीर तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं जिला भाजपा अध्यक्ष संजय चौधरी ने मुख्यातिथि का स्वागत किया। नगरोटा बगवां के विधायक अरुण मेहरा ने भी इस अवसर पर विचार रखे। इस अवसर पर उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार, एसपी संतोष पटियाल, अरण्यपाल डीआर कौशल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बद्री सिंह, एसीएफ सुरेश, प्रवक्ता राकेश शर्मा, एसडीएम धर्मेश रमोत्रा, जिला वन अधिकारी प्रदीप भारद्वाज, पंजाब खेल विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्याम लाल सिंगला, राष्ट्रीय महासचिव नरेश मलिक, कैप्टन पुरुषोतम, प्रकाश चौधरी, दविंद्र कुंद्रा सहित अन्य मौजूद रहे।

नशे से दूर रहें बच्चे

खेल मंत्री ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उनसे नशे से दूर रहने तथा अन्य बच्चों को भी इस बुराई से दूर रहने के लिए प्रेरित करने को कहा। इसके लिए अभिभावकों तथा अध्यापकों को भी अपनी भूमिका का निर्वहन उचित प्रकार से करना होगा। बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा प्रदान करने में भी शिक्षक अपना योगदान सुनिश्चित करें, ताकि वे देश तथा समाज का नाम रोशन कर सकें।