कालका-शिमला फोरलेन में देरी पर हाई कोर्ट सख्त

शिमला – कालका-शिमला फोरलेन के निर्माण में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने इस फोरलेन का निर्माण करने वाली कंपनी मैसर्ज जीएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को आगामी सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि स्थानीय अथॉरिटी ने मुआवजे की एक करोड़ से अधिक की राशि किसी दूसरे व्यक्ति के खाते में डाल दी थी, उसे दो दिनों के भीतर वापस कर दिया जाएगा। कालका-शिमला फोरलेन मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्र भूषण बरोवालिया ने उक्त आदेश पारित किए। ज्ञात रहे कि इस मामले में प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया था कि दिसंबर 2017 में 171937 वाहन और जनवरी 2018 में 153331 वाहन परवाणु बैरियर से क्रॉस हुए। हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग को आदेश दिए थे कि वह अदालत को बताएं कि दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 में कितने वाहन परवाणु बैरियर से क्रॉस हुए। अदालत ने यह भी पूछा था कि वीकेंड में कितने वाहन क्रॉस हुए। अदालत को इस बारे में बुधवार को विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही अदालत को बताया गया कि यह जानकारी आबकारी एवं कराधान आयुक्त के अनुसार दी गई जानकारी पर आधारित है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि बरसात के चलते कालका-शिमला हाई-वे पर जगह-जगह लहासे गिरने से घंटों तक जाम लग रहा है। अदालत के ध्यान में लाया गया कि जब कालका शिमला हाई वे पर वाहनों की इतनी ज्यादा आवाजाही है तो इस स्थिति में सड़क खराब होने के कारण जाम लगना लाजमी है। मामले की सुनवाई आगामी पहली अगस्त को निर्धारित की गई है।