गगल-भुंतर एयरपोर्ट के विस्तार को आईआईटी रुड़की के सर्वे में झटका

शिमला— हिमाचल प्रदेश की दो सबसे बड़ी हवाई पट्टियों भुंतर और गगल के विस्तारीकरण को आईआईटी रुड़की की सर्वे रिपोर्ट से झटका लगा है। कुल्लू स्थित भुंतर एयरपोर्ट का विस्तारीकरण ब्यास नदी को मोड़ कर ही संभव है। धर्मशाला शहर के गगल एयरपोर्ट के रन-वे को बढ़ाने के लिए 492 करोड़ की राशि का भू-अधिग्रहण के लिए प्रावधान जरूरी है। आईआईटी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि इस सूरत में ही दोनों हवाई अड्डों में बड़े जहाज उतारे जा सकते हैं। इस रिपोर्ट के बाद हिमाचल सरकार ने हवाई अड्डों के विस्तारीकरण का खाका नए सिरे से तैयार करना आरंभ कर दिया है। इसके तहत भुंतर हवाई अड्डे के रन-वे को 100 मीटर बढ़ाने की योजना है। वर्तमान में यह हवाई पट्टी 1052 मीटर लंबी है। इसके चलते भुंतर एयरपोर्ट में एटीआर-42 विमानों की लैंडिंग संभव है। हालांकि लोडिंग पेनल्टी के कारण एटीआर-42 को टेकऑफ करने में तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा भुंतर एयरपोर्ट में दिल्ली से 35 से 40 विमान यात्री आसानी से लैंड कर रहे हैं। वापसी के दौरान उक्त एयरवेज 20 से ज्यादा यात्रियों को ले जाने में सक्षम नहीं है। इस कारण भुंतर से दिल्ली की उड़ान में यात्रियों की संख्या हर दिन 15 से 20 के बीच सिमट रही है। इस तकनीकी अड़चन के चलते यात्रियों को वापसी का किराया बीस हजार तक चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते भुंतर-दिल्ली के बीच हवाई सेवा अधिक खर्चीली होने से दम तोड़ने लगी है। आईआईटी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भुंतर हवाई अड्डे में एटीआर-72 की लैंडिंग के लिए ब्यास नदी का 130 मीटर रुख पलटना जरूरी है। ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इस कारण हवाई पट्टी के विस्तार की योजना खटाई में पड़ता देख हिमाचल सरकार ने इस रन-वे को अब 100 मीटर बढ़ाने का फैसला लिया है। हवाई पट्टी की लंबाई 1052 मीटर से बढ़कर 1152 मीटर होने के कारण भुंतर में 50 यात्रियों की लैंडिंग और 40 यात्रियों के साथ विमान का टेकऑफ संभव हो जाएगा। इस सूरत में इस हवाई रूट पर दिल्ली-भुंतर के बीच किराया पांच से सात हजार के आस-पास स्थिर होने की संभावना बनेगी। गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण पर आईआईटी रुड़की ने स्पष्ट किया है कि रन-वे के आस-पास पर्याप्त भूमि है। हालांकि अधिकतर भू-खंड पर निजी क्षेत्र का मालिकाना हक है। इस कारण पर्याप्त जमीन के भू-अधिग्रहण के लिए 492 करोड़ के करीब बजट का प्रावधान जरूरी है। जाहिर है कि केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि गगल में अगर राज्य सरकार पर्याप्त जमीन उपलब्ध करवाती है तो इसके विस्तारीकरण के सारे विकल्प खुले हैं।  आईआईटी रुड़की ने भी स्पष्ट कर दिया है कि भू-अधिग्रहण के लिए भारी-भरकम बजट की जरूरत है। इसके चलते गगल हवाई अड्डे में भी बड़े जहाजों की लैंडिंग का सपना फिलहाल साकार होते नहीं दिख रहा है।

प्रदेश सरकार के सामने दो कठिन चुनौतियां

 ब्यास को मोड़ कर ही बढ़ाई जा सकती है भुंतर हवाई पट्टी

 492 करोड़ के जमीन सौदे कर बढ़ेगा गगल अड्डे का दायरा