जीएसटी राहत से भाजपा को लाभ

लोकसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को मिलेगा फायदा, कांग्रेस से बड़ा मुद्दा छिटका

शिमला – जीएसटी काउंसिल द्वारा हिमाचल प्रदेश के व्यापारियों को जीएसटी लिमिट बढ़ाने का ऐलान राजनीतिक तौर पर जयराम सरकार को फायदा देगा। भाजपा ने  चुनाव से पहले अपने दृष्टिपत्र में प्रदेश के व्यापारियों से ये वादा किया था कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर हिमाचल के लिए भी व्यापारियों को जीएसटी की लिमिट 10 से बढ़ाकर 20 लाख की जाएगी। उस समय चुनावी माहौल था और भाजपा ने इस मुद्दे को खूब भुनाया। इस मामले को लेकर यहां कांग्रेस की तत्कालीन सरकार बैकफुट पर रही, जिसे चुनाव में इसका नुकसान भी हुआ है। अब क्योंकि जयराम सरकार को छह महीने से अधिक का समय हो चला है तो व्यापारियों के बीच यह मामला गर्माने लगा था।   ऐसे में अब जीएसटी काउंसिल द्वारा दिल्ली में इस लिमिट को बढ़ाने का ऐलान प्रदेश सरकार के लिए बड़ा हथियार हाथ लगेगा।  आने वाले समय में लोकसभा के चुनाव भी होने हैं और राज्य में व्यापारियों की संख्या सात लाख से अधिक है। व्यापारी वर्ग पहले से ही भाजपा के साथ चलता आया है, लेकिन जीएसटी के मामले में भाजपा को कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा है। राजनीतिक तौर पर उनसे व्यापारी छूटते भी जा रहे हैं, लेकिन हिमाचल में उनके लिए एक ही बड़ा मुद्दा जीएसटी लिमिट बढ़ाने का था। वीरभद्र सरकार के समय में यहां जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की लिमिट 10 लाख रुपए रखी थी, जबकि पंजाब व साथ लगते दूसरे राज्यों में यह लिमिट 20 लाख थी। तब केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शिमला में बताया था कि वीरभद्र सरकार ने ही खुद इस लिमिट को 10 लाख तक रखने का प्रोपोजल दिया था, जिसे काउंसिल ने मान लिया। इसका खुलासा होने के बाद यहां वीरभद्र सरकार बैकफुट पर आ गई और चुनाव के बाद सत्ता भी गंवा बैठी। इन परिस्थितियों में अब लोकसभा चुनाव सामने हैं और निर्णय न होने से भाजपा बैकफुट पर दिख रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जीएसटी काउंसिल को प्रदेश का प्रोपोजल नए सिरे से दिया, जिसे मान लिया गया है। ऐसे में राजनीतिक तौर पर जयराम सरकार कांग्रेस से आगे निकल गई है। प्रदेश में यह एक बड़ा मुद्दा भी कांग्रेस के हाथ से छिटक गया है।