जीएसटी सही… पर बदलाव की जरूरत

देशभर में एक समान टैक्स लगाने, व्यापार में पारदर्शिता लाने, राजस्व बढ़ाने और कागजी कार्रवाई को समाप्त करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बीते वर्ष एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया। इससे व्यापरियों को उम्मीद थी कि अब बेवजह के पचड़े में नहीं पड़ना पड़ेगा, लेकिन एक साल पूरा होने के बाद भी असर मिला जुला ही देखने को मिला है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हुए एक साल हो गया है, लेकिन व्यापारियों के लिए जीएसटी सरल नहीं बन सका है। उनका व्यापार मुनीम और सीए के भरोसे चल रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद कई व्यापारियों ने विरोध का स्वर उठाया, लेकिन किसी की एक भी नहीं चली । हालांकि व्यापारियों को वाणिज्यकर   कार्यालय जाने से जरूर मुक्ति मिल गई है …

रिफंड हो रहा रहा टैक्स

रुचिरा पेपर मील के सीएमडी व चैंबर ऑफ कॉमर्स दिपन गर्ग का कहना है कि पहले व्यापारियों को कई फार्म भरने पड़ते थे, लेकिन अब इससे निजात मिल गई है। उन्होंने कहा कि पहले बाहरी राज्यों से उद्योगपति जो कच्चा माल मंगवाते थे उस पर लगा टैक्स वापस नहीं मिलता था, लेकिन जीएसटी लागू होने से अब यह टैक्स उद्योगपतियों को रिफंड हो रहा है। उन्होंने बताया कि डेढ़ लाख से नीचे की वार्षिक आमदनी वाले को त्रैमासिक रिटर्न भरनी होती है जो काफी कारगर है।

फार्म भरने के चक्कर से निजात

हिमालयन गु्रप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीच्यूट के वाइस चेयरमैन विकास बंसल का कहना है कि जीएसटी से कागजी काम तो बढ़ा है, लेकिन टैक्स का सरलीकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि भले ही शिक्षण संस्थानों पर जीएसटी का कोई खास असर नहीं है, लेकिन यदि व्यापारिक प्रतिष्ठानों की बात करें तो व्यापारियों के लिए जीएसटी लाभप्रद है। अब व्यापारी कई फॉर्म भरने की वजाय केवल एक ही फार्म भरना पड़ता है।

फार्मा इंडस्ट्री को जीएसटी से हो रहा नुकसान

लघु उद्योग भारती के पदाधिकारी एवं ओरिजन फार्मा के सीएमडी राकेश गोयल का कहना है कि उद्योगों के लिए जीएसटी कारगर साबित है, लेकिन फार्मा इंडस्ट्री को जीएसटी से नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें टैक्स की अदायगी 18 प्रतिशत करनी पड़ती है, जबकि फार्मा पर केवल 12 प्रतिशत ही ले सकते हैं।राकेश गोयल का कहना है कि अभी जीएसटी को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं इसके लिए सरकार व संबंधित विभाग को लोगों के बीच जाकर इसके लाभ बताने होंगे। उन्होंने बताया कि जीएसटी से पेपर वर्क तो थोड़ा बढ़ा है, लेकिन इसके आने वाले भविष्य में बेहतर परिणाम होंगे।

जीएसटी से पेपर वर्क से राहत

कालाअंब के उद्योगपति तेजेंद्र गोयल का कहना है कि पहले उन्हें कई फार्म भरने पड़ते थे, लेकिन अब इससे छुटकारा मिल गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से ट्रांजिक्ट पीरियड भी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले सर्विस टैक्स 12 से 15 प्रतिशत था, लेकिन वह रिफंडेवल नहीं होता था। जीएसटी लागू होने के बाद सर्विस टैक्स अब रिफंडेवल हो गया है। यही नहीं जीएसटी से देश भर में कहीं भी व्यापारी अपना माल ले जा सकता है तथा ला सकता है। साथ ही बैरियर खत्म होने से भी लोगों को लाभ हुआ है।