टेबल और गेस्ट के बीच फूड एवं बवरेज

हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री का आधारभूत हिस्सा कहलाने वाले होटल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित होटल मैनेजमेंट पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसरों के साथ ही सुरक्षित भविष्य का आश्वासन भी मिलता है। इसी इंडस्ट्री का एक विभाग फूड एंड बेवरेज सर्विस भी ऐसे ही आश्वासनों व अवसरों से भरपूर है। वैश्वीकरण के साथ ज्यादा से ज्यादा देशों में अपनी साख मजबूत करती हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री काफी तीव्रता से वैश्विक होती जा रही है…

हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री का आधारभूत हिस्सा कहलाने वाले होटल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित होटल मैनेजमेंट पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसरों के साथ ही सुरक्षित भविष्य का आश्वासन भी मिलता है। इसी इंडस्ट्री का एक विभाग फूड एंड बेवरेज सर्विस भी ऐसे ही आश्वासनों व अवसरों से भरपूर है।

वैश्वीकरण के साथ ज्यादा से ज्यादा देशों में अपनी साख मजबूत करती हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री जितनी तीव्रता से वैश्विक होती जा रही है, उतनी ही गति से यह छोटे शहरों और कस्बों की ओर रुख करने की योजना बना रही है। ऊपरी तौर पर वर्तमान स्थिति और भविष्य की ये संभावनाएं इस क्षेत्र विशेष में केवल आर्थिक विकास का आभास देती हैं, लेकिन इसका गूढ़ अर्थ यह निकलता है कि हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री का आधारभूत हिस्सा कहलाने वाले होटल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित होटल मैनेजमेंट पेशेवरों के लिए रोजागार के अवसरों के साथ ही सुरक्षित भविष्य का आश्वासन भी मिलता है। इसी इंडस्ट्री का एक विभाग फूड एंड बेवरेज सर्विस भी ऐसे ही आश्वासनों व अवसरों से भरपूर है।

कौन-कौन से हैं कोर्स

फूड एंड बेवरेज सर्विस से जुड़े कई कोर्स हैं। डिग्री, डिप्लोमा, स्नातकोत्तर डिप्लोमा जैसे कई कोर्स मौजूद हैं। बेकरी एंड कंफक्शनरी या होटल रिसेप्शन या एंड बुक कीपिंग या रेस्तरां व काउंटर सर्विस में डिप्लोमा, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, बीएससी इन होटल मैनेजमेंट, एमएससी हॉस्पिटेलिटी एडमिनट्रेशन।  इसके अलावा पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, फ्रंट आफिस एंड टूरिज्म मैनेजमेंट, एकोमोडेशन आपरेशन जैसे कोर्स प्रचलन में हैं।

नेचर ऑफ वर्क

फूड एंड बेवरेज सर्विस विभाग मेहमानों की जरूरतों का खयाल रखता है। यह स्टाफ  गेस्ट की टेबल तक उसकी पसंद का व्यंजन या पेय पहुंचाने का काम करता है। टेबल से दूर रहते हुए वह गेस्ट की बॉडी लैंग्वेज पढ़ता है और उसके कहने से पहले ही निर्देशों का पालन कर देता है। एक फूड एंड बेवरेज ग्रेजुएट रूम सर्विस, बार, स्पेशलिटी रेस्टोरेंट, कैफे, डिस्कोथेक, नाइट क्लब, बैंक्विट में से किसी को चुन सकता है। मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरुआत के बाद असिस्टेंट मैनेजर बनते हैं। कुछ जगहों पर सुपरवाइजरी स्तर पर स्टेशन हैड वेट का पद भी मिल सकता है। उसके बाद असिस्टेंट फूड एंड बेवरेज मैनेजर या डायरेक्टर का पद होता है। इसी पद से प्रबंधकीय कार्यों का आरंभ होता है। ग्राहकों या गेस्ट की जरूरतों का ध्यान रखने के अलावा फू ड एंड बेवरेज मैनेजर स्टाफ  को भी प्रबंधित करता है और रेस्टोरेंट की व्यवस्था देखता है। कुल मिलाकर इस विभाग में काम करने वालों को एंटरप्रिन्योर की तरह रेस्टोरेंट या अन्य विभागों को चलाने का अनुभव मिलता है, क्योंकि पूरे विभाग की जिम्मेदारी मैनेजर की होती है। यानी कुशन के रंग से लेकर मीनू के निर्णय या कहें सभी इंचार्ज यही होते हैं।

उन्नति के अवसर

मैनेजर से अपेक्षा की जाती है कि वह अनूठे तरीके से सोचे और ज्यादा से ज्यादा आय अर्जित करने में मदद करे। इस उद्देश्य में सफल रहने पर फूड एंड बेवरेज मैनेजर, रेसीडेंट मैनेजर, जनरल मैनेजर, वाइस प्रेजिडेंट और सीओओ या सीईओ पर क्रमशः आगे बढ़ता है। उससे पहले यहां दिन में 11 से 12 घंटे काम करना होता है। फिर भी अन्य सर्विस सेक्टर की तुलना में शुरुआत में वेतन बहुत अच्छा नहीं मिलता। हालांकि मेडिकल व हाउस रेंट या अकॉमडेशन, इन्सेंटिव थोड़ी राहत देते हैं। सकारात्मक पहलू यह भी है कि केवल वेटर से शुरुआत करने वाले ग्रेजुएट 25 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते रेस्टोरेंट मैनेजर बन जाते हैं और उनके अधीन 20 से 25 लोग काम करते हैं। हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री के अलावा, हॉस्पिटल, कंपनियों, बैंकिंग, आईटी, बीपीओ, केपीओ, कॉल सेंटर में भी इनकी मांग है। दो से तीन वर्ष तक काम करने के बाद विदेशों में भी अवसर मिल सकते हैं।

संस्थान

 नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, नोएडा

 इग्नू, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली

 एलबीआईआईएचएम, नई दिल्ली

 पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट, नई दिल्ली

 कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी

योग्यताएं

इन पाठ्यक्रमों  में एडमिशन के लिए मान्यता प्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी से 12वीं या स्नातक होना जरूरी है। 12 में अंग्रेजी एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ी हो इंडस्ट्री में कामयाब होने के लिए कुछ व्यक्तिगत गुण जैसे मृदुभाषी, आकर्षक व्यक्तित्व, दोस्ताना रवैया, धैर्यवान, प्रशासनिक दक्षता, सहजता, अतिथियों के हाव-भाव समझने की कला होना जरूरी है।