ट्राउट प्रोडक्शन 2022 तक डबल

नार्वे-डेनमार्क से आएगा ब्राउन-रेनबो की आईडोबा स्टेज का बीज

बिलासपुर— हिमाचल में ट्राउट प्रोडक्शन 2022 तक डबल करने की तैयारी हो गई है। इस बाबत मत्स्य विभाग के निदेशालय की ओर से एक प्रस्ताव स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसके तहत तीन साल के लिए ब्राउन व रेनबो ट्राउट की आईडोबा स्टेज (पीरियड ऑफ डिवेलपमेंट) का 15 से 20 लाख मछली बीज नार्वे और डेनमार्क सहित अन्य मत्स्य उत्पादक देशों से खरीदा जाएगा। ट्राउट की यह स्टेज कुल्लू जिला के पतलीकूहल फार्म में तैयार की जाएगी। प्रदेश में न केवल क्वालिटी की ट्राउट का जायका मिलेगा, बल्कि इसकी प्रोडक्शन 456 मीट्रिक टन से बढ़ाकर दोगुना भी हो जाएगी। मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि अभी प्रदेश के ठंडे क्षेत्रों में ब्राउन और रेनबो ट्राउट का उत्पादन किया जा रहा है। इस समय 456 मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया जा रहा है, जबकि आने वाले पांच साल में इसे डबल करने की योजना है। तीन साल तक मत्स्य उत्पादक बाहरी देशों से आईडोबा स्टेज की मछली मंगवाई जाएगी, जिसे पतलीकूहल में तैयार किया जाएगा। यह बीज उत्तम क्वालिटी का होगा और इससे निश्चित रूप से प्रदेश में ट्राउट प्रजाति की मछली की प्रोडक्शन में इजाफा होगा। अब नार्वे और डेनमार्क से रेनबो ट्राउट के अंडे आयात किए जाएंगे। हर साल पांच-पांच लाख अंडे आयात करने की योजना है, जिसके तहत पंद्रह से बीस लाख बीज आयात किया जाएगा। विभाग ने उत्तराखंड में भीमताल संस्थान के विशेषज्ञों से बातचीत कर पतलीकूहल फार्म में फीड मीलों में ट्राउट की उच्च गुणवत्तायुक्त फीड तैयार करने की तकनीक भी मांगी है। यदि यह तकनीक विभाग को मिलती है, तो लोगों को गुणवत्तायुक्त ट्राउट का जायका मिलेगा।

भीमताल संस्थान से मांगी नई तकनीक

हिमाचल में 1991-92 में लाई गई ट्राउट प्रजाति की मछली का बीज ही तैयार किया जा रहा है। ऐसे में अब मछली के शौकीन लोगों का जायका बदलने के लिए विभाग ने नई तकनीक आधारित मछली तैयार करने की योजना भी बनाई है। विभाग की तरफ से भीमताल संस्थान के विशेषज्ञों से प्रायोगिक तौर पर नई तकनीक उपलब्ध करवाने का आग्रह किया गया है।