नालागढ़ में तुरंत हटाओ अवैध निर्माण

हाई कोर्ट के आदेश; नौ को सौंपें रिपोर्ट, दोषी अधिकारियों की सूची तलब

बीबीएन— हाई कोर्ट ने नालागढ़ स्थित एक आवासीय कालोनी में हुए अवैध निर्माण को हटाने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही उन अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची भी तलब की है, जिन्होंने वर्ष 2014 में एसआईटी की रिपोर्ट में अवैध निर्माण का खुलासा होने के बाद कार्रवाई की जहमत नही उठाई। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को नौ जुलाई तक इस अवैध निर्माण को गिराने तथा इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि आवासीय कालोनी के हरित क्षेत्र में चार दर्जन के करीब दुकानों का निर्माण किया गया है। उल्लेखनीय है कि नालागढ़ शहर के वार्ड नंबर-एक स्थित रिहायशी कालोनी के हरित क्षेत्र की जमीन को बेचकर उस पर निजी भवन बनाने के मामले को लेकर नालागढ़ के दो लोगों ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसका हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार सहित संबंधित विभागों से जवाब तलब किया। जवाब में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि अवैध निर्माण की जांच वर्ष 2014 में एसआईटी के द्वारा की जा चुकी है जिसमें पाया गया है कि यहां अवैध निर्माण किया गया है। उच्च न्यायालय ने संबंधित विभागों के शपथ पत्र आने के बाद न्यायाधीश ने आदेश दिए हैं कि अवैध निर्माण के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई जल्द से जल्द अमल में लाई जाए। दरअसल जनहित याचिका में कहा गया था कि नालागढ़ के वार्ड नबर एक में वर्ष 1990 में टीसीपी विभाग से रिहायशी कालोनी स्वीकृत हुई थी, जिसमें मूलभूत सुविधाओं के लिए करीब 2989 वर्ग मीटर जगह छोड़ी गई थी, लेकिन इस भूमि को गलत ढंग से बेच दिया गया। फिर सबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने नियम दरकिनार कर दुकानें आदि भवन बनाने के नक्शे पास कर दिए, जिससे जहां पर मूलभूत सुविधाओं की जगह पर निजी भवन बन गए। एसडीएम नालागढ़ प्रशांत देष्टा ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बीबीएनडीए के सीईओ केसी चमन ने कहा कि अदालत ने जो जानकारी मांगी थी, वह प्रस्तुत कर दी है।