पेसापालो टीम कैप्टन को न सरकारी नौकरी, न सम्मान

शालू शर्मा पेसापालो खिलाड़ी

‘शाबाश’! यह शब्द खिलाडि़यों को तब ट्रॉफियों-इनामों से भी बड़ा लगता है, जब उनके कुछ कर दिखाने पर कोई पीठ थपथपाकर कहता है ‘बहुत अच्छे’! मेडल के आंकड़ों से खुद पर इतराने वाला हिमाचल असली खेल नायकों को लगातार हतोस्ताहित कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय तमगे जीतने पर खिलाडि़यों के हिस्से में गूंजी तालियों का जश्न घर पहुंचते-पहुंचते फीका सा पड़ जाता है। हद तो यह कि उन्हें आर्थिक सहायता तो दूर, शुभकामनाओं के लिए भी मोहताज होना पड़ता है। आखिर इन खिलाडि़यों का कसूर क्या है ! ऐसे उपेक्षित खेल नायकों की टीस की एक बानगी…

पांवटा साहिब— पेसापालो खेल में भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए वर्ल्ड कप में बेस्ट प्लेयर रही और बतौर कप्तान एशिया कप में गोल्ड मेडल दिलाने वाली जिला सिरमौर की बेटी शालू शर्मा उपेक्षा का दंश झेल रही है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो मेडल लेने वाली प्रदेश की बेटी आज तक बेरोजगार है। न तो प्रदेश सरकार ने शालू को कोई सम्मान दिया है और न ही नौकरी की कोई बात कही है। पेसापालो टीम की भारतीय कप्तान व सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के गांव शमाह के मामराज शर्मा की बेटी शालू शर्मा ने गिरिपार जैसे क्षेत्र से निकलकर विश्व स्तर पर हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर क्षेत्र की युवतियों के लिए रोल मॉडल बनकर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, लेकिन यह खिलाड़ी अपने ही प्रदेश की सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही है। जनवरी, 2018 में शालू की कप्तानी में भारत ने एशिया कप पर अपना कब्जा किया। उसके बाद जब वह घर लौटी तो स्थानीय लोगों ने उसका सम्मान भी किया, लेकिन सरकार की ओर से उसे अभी तक शाबाशी तक नहीं मिली है। इससे पहले वर्ष 2017 में शालू ने बतौर कप्तान फिनलैंड में विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन कर बेस्ट प्लेयर का खिताब हासिल किया था। खेल प्रेमियों का कहना है कि जिस प्रकार अन्य खेलों में प्रदेश का नाम रोशन करने वालों को सरकार नौकरी और इनाम देकर सम्मानित कर रही है, उसी प्रकार विश्वस्तर की इस खिलाड़ी को भी वह सम्मान मिलना चाहिए। शालू के पिता मामराज शर्मा ने होटल में बरतन मांजकर अपने बेटी को इस काबिल बनाया कि वह देश-प्रदेश का नाम विश्व भर में रोशन कर सके, लेकिन सरकार की अनदेखी से वह भी आहत हैं।

सरकार से इनाम की आस

शालू शर्मा ने कहा कि सरकार से उम्मीद थी कि उन्हें उचित इनाम मिलेगा। इस बारे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र भेजा गया है, लेकिन उसका अभी तक जवाब नहीं आया है। उम्मीद है कि सरकार उन्हेें प्रोत्साहित जरूर करेगी, ताकि वह 2019 में भारत में होने वाले पेसापालो विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने बताया कि आजकल वह मंडी के एक संस्थान से डीपीई का कोर्स कर रही हैं। साथ ही नेशनल के लिए होने वाले ट्रायल कैंप की तैयारियां भी कर रही हैं।